उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में सूकर पालन पर उद्यमिता विकास विषय पर कार्यशाला का आयोजन 

बरेली ,27 फरवरी । वैज्ञानिक विधि व आधुनिक संसाधनों को अपनाकर यदि सूकर व्यवसाय को शुरू करा जाय तो किसान की आमदनी के साथ-साथ उद्यमिता का भी विकास होगा। उक्त उदगार भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर में ”सूकर पालन पर उद्यमिता विकास ” विषय पर ऑन लाईन आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान के संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ रूपसी तिवारी ने व्यक्त  किए। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के एग्री बिजनेस इन्कुबेशन (एबीआई) केन्द्र तथा  पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग द्वारा आयोजित किया गया है ।
  उद्घाटन अवसर पर संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ रूपसी तिवारी ने कहा कि सूकर पालन  में रोजगार की अपार संभावनाये हैं आवश्यकता है कि इसको वैज्ञानिक तरीके से किया जाय। उन्होने कहा कि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, जीवनशैली और भोजन आदतों में सुधार के कारण पशु तथा पशु उत्पादों के उपयोग में वृद्धि हुई है इसके साथ ही सूकर की  मांग भी बढ़ी है। सूकर की मांग देश के अन्य भागों  की अपेक्षा पूर्वोतर राज्यों में अत्यधिक मांग है।  इसके अतिरिक्त दक्षिण भारत जैसे गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल तथा बेंगलुरु में भी सूकर माँस का  उपयोग किया जाता है । इसके साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से भी अवगत कराया उन्होंने अपने व्याख्यान में  मार्केटिंग के विभिन्न तरीके के बारे में बताया साथ ही संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न मोबाइल एप्प के बारे भी जानकारी दी ।
पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग के प्रभारी डॉ मुकेश सिंह ने इस अवसर पर बताया कि संस्थान का एग्री बिजनेस इन्कुबेशन (एबीआई) केन्द्र द्वारा समय समय पर पशुधन से संबन्धित प्रशिक्षण आयोजित करता आया है परंतु सबसे अधिक मांग सूकर पालन पर प्रशिक्षण कि रहती है तथा यहाँ से  प्रशिक्षण प्राप्त कई उद्यमी आज सफल उद्यमी बने हैं तथा लाखों का कारोबार कर रहे हैं तथा अन्य लोगो को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रधान अन्वेषक एवं प्रधान वैज्ञानिक, जैविक उत्पाद विभाग डा. बबलू कुमार ने बताया कि  इस ऑन लाईन  प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के 07 राज्यों जिनमें दिल्ली, महराष्ट्र, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, तथा उत्तर प्रदेश केे 38 प्रतिभगियों ने भाग लिया। जिनमे 4 महिलाएं शामिल हैं । उन्होने बताया सूकर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास को अपार संभावनाओं पर जोर दिया उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है उन्होने कहा कि एग्री बिजनेस इन्कुबेशन (एबीआई) के माध्यम से पशुधन छेत्र के विभिन्न आयामों पर लगभग 686 लोग प्रशिक्षित हो चुके हैं तथा करीब 14 उधमियों ने इस व्यवसाय से प्राइवेट कंपनी भी बना ली।
प्रभारी, सूकर उत्पादन प्रषेत्र, डॉ अनुज चौहान ने बताया कि प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सूकरों की उपयोगी नस्लें, आवास निर्माण एवं प्रबन्धन, विभिन्न वर्ग/अवस्थाओं में शूकर में पोषण प्रबन्धन, उत्तम संतति हेतु सूकरों का चयन, सूकर फार्म का आर्थिक प्रबन्धन, सूकरों के मुख्य रोग लक्षण निदान एवं नियन्त्रण, जैव सुरक्षा, सूकरों का विपणन एवं बीमा, सूकर मांस उत्पादन विशेषताएं एवं विभिन्न उत्पाद,  सूकर पालन प्रोत्साहन हेतु सरकारी योजना तथा ऋण सुविधा आदि के बारे मे विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी  इसके अतिरिक्त सूकर पालन के क्षेत्र में अग्रणी  कार्य  करने वाले उधमियों से भी आपसी सवाद कर जानकारी प्रदान कि जाएगी ।
कार्यक्रम का संचालन एबीआई केन्द्र प्रधान अन्वेषक डा. बबलू कुमार द्वारा किया गया इस अवसर पर एग्री बिजनेस इन्कुबेशन (एबीआई) केंद्र से पुनीत कुमार और सुरेश कुमार भी मोजूद रहे।                                             बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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