आज से शुरू हुआ ओणम का त्योहार, पीएम मोदी ने दी बधाई

नई दिल्ली: प्रेम, विश्वास, खुशी और आस्था के मानक पर्व ‘ओणम’ की शुरुआत आज से हो गई है। वैसे तो दस दिन तक चलने वाला पर्व मूलरूप से केरल में मानाया जाता है लेकिन बदलते वक्त के साथ अब इसकी छटा पुरे देश में देखी जाती है। आज से मलयाली लोगों का नववर्ष भी शुरू होता है क्योंकि मलयालम कैलेंडर के मुताबिक आज से चिंगम महीने की शुरुआत हुई है, जो कि कैलेंडर का पहला महीना है। ये धार्मिक त्‍योहार से ज्यादा एक सांस्‍कृतिक पर्व है जो कि फसल के लिए मनाया जाता है, लोग पूरे दस दिन अपने घरों को सजाते हैं और उत्सव मनाते हैं।

ओणम के खास मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया है कि ‘सभी को ओणम की बधाई, खासकर केरल और दुनिया भर में फैले मलयाली समुदाय के लोगों को। यह त्यौहार प्रकृति मां की महत्वपूर्ण भूमिका और हमारे मेहनती किसानों के महत्व की पुष्टि करता है। ओणम हमारे समाज में सद्भाव की भावना को भी आगे बढ़ाए।’

भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है, जिनकी और महाबलि की एक रोचक कहानी हैं। माना जाता है कि ओणम के दिनों में महाबलि धरती पर आते हैं इसलिए केरलवासी उनके स्वागत में अपने घरों को सजाते हैं और उत्सव मनाते हैं।

मुहूर्त
ये त्योहार थिरुवोणम नक्षत्र में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत कल शाम 04 बजे से हो गई है, यह नक्षत्र 08 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

पूजा विधि
सुबह-सुबह लोग नहाधोकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं।
केला पापड़ का सेवन करते हैं।
राईस से कई तरह के व्यंजन बनाते हैं।
नाचते-गाते हैं, नौका प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।
भैंस-बैल दौड़ भी इस दिन केरल में आयोजित होती है।
आज से शुरू ओणम का त्योहार, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

कथा
मान्यता है कि केरल के एक राजा थे जिनका नाम था महाबलि, वो अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे और बहुत बड़े दानी थे। महाबलि की ये लोकप्रियता से देवताओं को जलन हुई इसलिए राजा इंद्र ने भगवान विष्णु से कहा कि वो महाबलि की परीक्षा लें, विष्णु मान गये और उन्होंने ब्राह्मण वेश धारण करके महाबलि के पास पहुंचकर तीन पग जमीन की मांग की। महाबलि ने तुरंत हां कर दिया और उसके बाद विष्णु ने विराट रूप धारण करके तीन पग नापें, पहले पग में भू-लोक तथा दूसरे पग में स्वर्ग-लोक नाप लिया। तीसरे पग के लिए भूमि कम पड़ गई। इस पर महबलि के पास कोई चारा नहीं बचा, उन्होंने भगवान विष्णु से माफी मांगी।

 

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