धर्मलाइफस्टाइल

ऋषि दुर्वासा ने विवाह के लिए माता पार्वती को दिया था ये मंत्र, मनचाहे वर के लिए करें जाप

विवाह को हिंदू धर्म (Hindu Religion) में 16 प्रमुख संस्कारों में से एक माना जाता है। जी हाँ और आप तो जानते ही होंगे विवाह दो लोगों के नए जीवन का आधार होता है। जी दरअसल इस बंधन में बंधने के बाद दो लोग पूरे जीवन के लिए सुख और दुख के साथी बन जाते हैं। इसी के साथ विवाह के लिए हर व्यक्ति जीवनसाथी अपनी पसंद का चाहता है, हालाँकि आज के समय में ये इतना आसान नहीं होता है। लेकिन अगर आपको कोई पसंद है और आप उससे शादी करना चाहते हैं तो एक बार ‘स्वयंवर पार्वती मंत्र’ का जाप जरूर करके देखें। जी हाँ, इस मंत्र का जिक्र पार्वती स्तोत्र में किया गया है और इसे बेहद प्रभावशाली मंत्र माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि ‘स्वयंवर पार्वती मंत्र’ ऋषि दुर्वासा ने माता पार्वती को दिया था। कहते हैं इस मंत्र के प्रभाव से ही माता पार्वती को उनके पसंदीदा वर यानी महादेव प्राप्त हुए थे। जी हाँ और इस मंत्र को पार्वती स्त्रोत के प्रत्येक श्लोक के पहले अक्षर को जोड़कर बनाया गया है। ऐसी मान्यता है कि पूरी श्रद्धा के अगर कोई कन्या या पुरुष इस मंत्र का जाप करे, तो उसका विवाह शीघ्र होता है और उसे उसका जीवनसाथी उसकी पसंद के हिसाब से मिलता है। इसके अलावा जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में परेशानियां हैं, वे भी अगर इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करें, तो लड़ाई-झगड़े समाप्त होते हैं और दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है।

ये है मंत्र- ”ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी, सकल स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं, आकर्षय आकर्षय नमः”

कहा जाता है किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार को महादेव और माता पार्वती के निमित्त व्रत रखें और मंदिर में शिवलिंग पर जाकर जल अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं और चुनरी पहनाएं और इसके बाद शिवलिंग पर पुष्प, अक्षत, चंदन, बेलपत्र, धतूरा, धूप और दीप आदि अर्पित करें। अब इसके बाद महादेव और माता पार्वती के समक्ष अपनी परेशानी को कहकर इसे पूरा करने की प्रार्थना करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करीब 108 बार करें। आप सोमवार के शुक्ल पक्ष से इस मंत्र का जाप शुरू कर दें और इसके बाद इसका रोज 108 बार जाप करें। ऐसा करने से जल्द ही आपकी विवाह की इच्छा पूरी हो जाएगी। वहीं विवाह तय होने के बाद आप एक बार फिर से महादेव और माता पार्वती की पूजा शुक्ल पक्ष के सोमवार को करें और उनका व्रत रखें। उसके बाद उन्हें कामना पूरी करने के लिए धन्यवाद दें और एक बार फिर से सुहाग का सामान, फल आदि भगवान पर चढ़ाएं और किसी जरूरतमंद को दें।

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