किसी की मौत के बाद शव को क्यों नहीं छोड़ते अकेला? जाने वजह

नई दिल्ली। पृथ्वी पर जिस भी प्राणी ने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी अटल है. कभी न कभी हर इंसान को मरना ही पड़ता है. हिन्दू धर्म के प्रमुख संस्कारों में से एक दाह संस्कार को भी माना गया है जिसे पूरे विधि-विधान के साथ संपूर्ण किया जाता है. हिन्दू धर्म में शव अग्नि को समर्पित करने की परंपरा है, मतलब मौत के बाद शव को जलाया जाता है. साथ ही अंतिम संस्कार को लेकर भी नियम हैं जिनका पालन जरूरी होता है. गरुड़ पुराण में ऐसे ही कुछ विधानों का जिक्र है जिसमें बताया गया है कि सूर्यास्त के बाद किसी इंसान का दाह संस्कार क्यों नहीं किया जाता, साथ ही शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है.

अगर किसी शख्स की मौत सूर्यास्त के बाद होती है तो उसका दाह संस्कार अगली सुबह ही किया जाता है. इस दौरान शव को रातभर जमीन पर रखा जाता है और उसके साथ पूरी रात कोई न कोई जरूर बैठता है. इसके पीछे की वजह गरुड़ पुराण में बताई गई है. पहले तो अगर सूर्यास्त के बाद किसी का दाह संस्कार किया जाए तो उस शख्स को अधोगति मिलती है और उसे मुक्ति नहीं मिल पाती है. ऐसी आत्मा का किसी पिशाच या फिर असुर योनि में पुनर्जन्म होता है.

दाह संस्कार के लिए सही समय का चुनाव भी जरूरी माना गया है. पंचक काल में अगर किसी की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार काल के खत्म होने के बाद ही किया जाता है. इस दौरान पंचक खत्म होने तक किसी न किसी को शव के साथ बैठना होता है. अगर पंचक काल में किसी का दाह संस्कार किया जाता है तो उस शख्स के कुल-खानदान में भी पांच अन्य लोगों की मौत हो सकती है. इसके लिए एक समाधान भी बताया गया है जिसके मुताबिक शव के साथ बेसन या फिर सूखे घास के 5 पुतले बनाकर उनका भी पूरे नियमों के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है.

शव के साथ पूरी रात बैठने के पीछे की वजह भी गरुड़ पुराण में बताई गई है. इसके मुताबिक अगर शव को अकेला छोड़ा जाता है तो रात्रि के वक्त उसमें बुरी आत्मा प्रवेश कर सकती है और उस शरीर के जरिए कोई अनिष्ट काम करवा सकती है. यही वजह है कि रात में शव के पास कोई न कोई जरूर बैठता है और उस जगह को साफ-सुथरा रखा जाता है. इसके अलावा वहां कोई अगरबत्ती या फिर दीपक जलाया जाता है ताकि अग्नि की पवित्र रोशनी में कोई भी दुरात्मा मृत शरीर में प्रवेश न कर सके.

इसके अलावा शव को किसी तरह के नुकसान से बचाने के लिए भी उसे अकेला नहीं छोड़ा जाता है. जमीन पर रखे शव को कुत्ते या कोई अन्य जीव नुकसान पहुंचा सकता है. अगर किसी शव के साथ ऐसा होता है तो उसे यमलोक में भी ऐसी ही यातनाएं झेलनी पड़ सकती हैं.

हिन्दू धर्म में एक मान्यता यह भी है कि शव का अंतिम संस्कार मृतक के बेटा या बेटी द्वारा ही किया जाता है. अगर मृतक के अंश उनसे दूर हैं तो उनके आने तक का इंतजार किया जाता है. ऐसे में कई बार शव को रातभर के लिए रखना भी पड़ता है. बेटे के हाथों की मृतक का अंतिम संस्कार किए जाने की मान्यता है और इसी के जरिए मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. वरना आत्मा पुनर्जन्म या मोक्ष की तलाश में भटकती रहती है.

 

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