क्या है अयोध्या राम मंदिर में रामलला के सूर्यतिलक के पीछे की साइंस

नई दिल्ली: बुधवार को राम नवमी के अवसर पर अयोध्या राम मंदिर की राम लला की मूर्ति के लिए एक अद्भुत घटना होने वाली है, जो विशिष्ट वास्तुकला का उदाहरण होगी। ठीक रामनवमी के दिन दोपहर के समय, सूरज की एक किरण, राम लला की मूर्ति के माथे को रोशन करेगी, इससे रामलला का सूर्य तिलक होगा। आइए जानते हैं इसके पीछे के विज्ञान को। दरअसल यह दर्पण और लेंस के नए सिस्टम की वजह से होगा, जिसकी वजह से सूर्य की किरण को मूर्ति के माथे आएंगी, यह घटना हर साल राम नवमी पर दोहराई जाएगी। दरअसल इसके लिए अष्टधातु के 65 फीट लंबे 20 पाइप लगाए गए हैं। इनमें फिल्टर भी लगाया गया है, जिससे गर्म किरणें रामलला पर न पडें। इन पाइपों को सीलिंग से जोड़ते हुए पाइपों को लगाया गया है।आपको बता दें कि अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के अंदर इसके लिए लेंस और दर्पण की व्यवस्था की गई है कि हर राम नवमी पर दोपहर के समय सूर्य की एक किरण राम लला की मूर्ति के माथे को ठीक से रोशन करे।

आपको बता दें कि अलौकिक राम मंदिर में रामनवमी का मुख्य पर्व बुधवार को पहली बार मनाया जाएगा। रामनवमी पर रामलला के प्राकट्य बेला में मध्याह्न भगवान के ललाट पर सूर्याभिषेक या सूर्य तिलक होगा। इसके लिए मंगलवार को भी मध्याह्न अंधेरे में ट्रायल किया गया। इस ट्रायल के लिए मध्याह्न 12 बजे के चार मिनट पहले 11.56 बजे आरती शुरू कराई लेकिन सूर्य की रश्मियां सटीक रूप से ललाट के मध्य न पड़ने के कारण सूर्याभिषेक के समय में थोड़ा बदलाव कर दिन में 12.16 बजे तय किया गया है। इस दौरान तकरीबन 4 से 6 मिनट तक रामलला की मूर्ति के मस्तक पर सूर्य तिलक किया जाएगा। यानी सूर्य की रोशनी रामलला पर इस तरह पड़ेंगी, मानो भगवान राम को सूर्य तिलक लगाया हो।

हिन्दुस्तान से साभार

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