गणेश पूजाः इस बार कई अद्भुत योगों के बीच पधार रहे हैं गणपति बप्पा, किया सही काम तो हो जाएगा बड़ा नाम

श्री गणेश चतुर्थी के आगमन का बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में विशेष जुनून देखने को मिलता है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणपति की स्थापना की जाती है। श्री गणेश उत्सव इस वर्ष 31 अगस्त से शुरू हो रहा है और अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर को पड़ रही है, जिस दिन बप्पा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।

ऐसे में धन-धान्य से परिपूर्ण सुखमय जीवन व्यतीत करने की इच्छा लिए शुभ मुहूर्त में गणपति की स्थापना को बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में स्वदेशी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू ऐप के माध्यम से प्रसिद्ध ज्योतिषियों ने पूजन और प्रथमेश की स्थापना के शुभ मुहूर्त की जानकारी दी है। शुभ मुहूर्त में श्री विनायक की स्थापना जीवन में आ रही रुकावटों को दूर करने के साथ ही राह में गति प्रदान करेगी और सफलता दिलाने में सहायक होगी।

ऐस्ट्रो अरुण पंडित अपने कू हैंडल के माध्यम से कहते हैं:
गणेश चतुर्थी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

30 अगस्त, मंगलवार दोपहर 03:33 मिनट पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी। 31 अगस्त दोपहर 03:22 मिनट पर इसका समापन होगा। उदयातिथि के कारण गणेश चतुर्थी का व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 मिनट से दोपहर 01:38 मिनट तक है। पहली पोस्ट की मानें, तो 10 दिवसीय गणेशोत्‍सव पर्व का शुभ मुहूर्त भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी 30 अगस्त की दोपहर 03:33 मिनट से शुरू होकर 31 अगस्त को दोपहर 03:22 बजे तक रहेगा।

बन रहा है रवि योग
श्री गणेश चतुर्थी के दौरान इस साल बहुत खास रवि योग बन रहा है। सूर्य की पवित्र ऊर्जा से भरपूर होने से इस योग में किया गया कार्य अनिष्ट को नष्ट करके शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। माना जाता है कि बुधवार गणपत‍ि जी का दिन होता है और इस दिन से गणेश उत्‍सव की शुरुआत अपने आप में बहुत खास होगी।

सभी योग श्री विनायक के जन्म अवधि वाले
इस साल वे सारे योग-संयोग बन रहे हैं, जो श्री विनायक के जन्म पर बने थे। बुधवार का दिन, चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय। माना जाता है कि यही वह संयोग था, जब पार्वती जी ने मिट्टी के गणेश बनाए थे और उसमें प्राण डाले थे। इसके अलावा भी कुछ दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं जो 31 अगस्त से 9 सितंबर तक गणेश उत्सव के दौरान रहेंगे।

विगत 300 वर्षों में नहीं हुआ है ऐसा
इस वर्ष श्री गणेश उत्सव के दौरान नवमी तिथि घट रही है। इन दिनों सूर्य, बुध, गुरु और शनि अपनी ही राशियों में रहेंगे। विगत 300 सालों में ऐसा नहीं हुआ। इस बार गुरु ग्रह से देह स्थूल योग बन रहा है। इसे लंबोदर योग भी कहा जाता है। साथ ही गणपति के जन्म काल के वक्त वीणा, वरिष्ठ, उभयचरी और अमला नाम के पाँच राज योग भी बनेंगे। इन पाँचों राज योगों के बनने से इस बार गणेश स्थापना बेहद शुभ रहेगी।

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