घर में भूलकर भी ना लगाएं ऐसे पत्थर, मकान मालिक को आर्थिक तंगी कर देती है बर्बाद

नई दिल्ली. आजकल नए घरों में पत्थर लगाने का चलन बहुत अधिक होन लगा है. हालांकि लोग इसे घर की मजबूती और सुंदरता के लिए इस्तेमाल करते हैं. परंतु, भारतीय वास्तु शास्त्र घर में पत्थर लगाने की अनुमति नहीं देता है. वास्तु शास्त्र के सिद्धांत के मुताबिक घरों में पत्थर लगाना निषेध बताया गया है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर घर में टाइल्स लगाना क्यों निषेध है.

खुशहाल घर के लिए खास वास्तु टिप्स:

–वास्तु शास्त्र के मुताबिक घरों में पत्थर लगाने से गृह स्वामी का जीवन संकटों से घिरा रहता है. साथ ही घर में हमेशा कलह और क्लेश की स्थिति बनी रहती है. वास्तु शास्त्र के जानकार बताते हैं कि घर में पत्थर सिर्फ मठ, मंदिर, राजमहलों और अन्य धार्मिक स्थानों पर लगाए जा सकते हैं.

–वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक दीवार से सटे हुए दो मकान यमराज के समान होते हैं. इससे घर के मुखिया को हमेशा कष्टों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा घर के आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण की दिशा) में पीपल, वट, सेमल, पाकर और गूलर इत्यादि के पेड़ होने से मकान मालिक को पीड़ी होती है.

–वास्तु के मुताबिक नया मकान बनाने में निर्माण सामग्री के रूप में ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी इत्यादि सामग्री नए लगावाने चाहिए. एक मकान में इस्तेमाल की गई लकड़ी नए मकान में लगाने से गृह स्वामी के लिए कष्ट का कारण बनता है.

–पीपल, नीम, बहेड़ा, आम, पाकर, आम, गूलर, रीठा, इमली, बबूल इत्यादि लकड़ियों का इस्तेमाल घर बनाने में नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा करने से घर में बराबर कलह की स्थिति बनी रहती है. इसके अलावा घर के समीप कांटेदार पौधे, दूधवाले पौधे नहीं होने चाहिए.

–वास्तु शास्त्र के मिताबिक अगर दिन के दूसरे और तीसरे प्रहर में यदि किसी वृक्ष की छाया मकान पर पड़े तो घर में रहने वाले रोग से परेशान रहते हैं. इसके अलावा घर की सीढ़ियां, खंभे, दरवाजे, खिड़कियों आदि की गणना इंद्र-काल-राजा इस क्रम में करना चाहिए. ऐसे में अगर अंत में काल आए तो अशुभ होता है.

 

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