जानिए ‘तुलसी विवाह’ का सही मुहूर्त, पूजा में इन बातों का रखें विशेष ख्याल, अन्यथा निष्फल हो जाएगी पूजा

नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘तुलसी विवाह’ (Tulsi Vivah) के दिन से मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस साल ‘तुलसी विवाह’ 24 नवंबर शुक्रवार को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि कार्तिक माह में आने वाले देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जाग जाते हैं और इसी दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का तुलसी जी से विवाह होता है। कुछ लोग द्वादशी पर भी ‘तुलसी विवाह’ करते हैं।

कहते हैं कि सुहागन महिलाओं को तो ये व्रत जरूर रखना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। अगर आप भी तुलसी विवाह करना चाहते हैं तो आइए जानें इससे जुड़े नियम जिससे आपको भगवान विष्णु की असीम कृपा मिल सकती हैं।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

तुलसी विवाह करते समय तुलसी गठबंधन के लिए लाल चुनरी और पीला कपड़े का ही इस्तेमाल करें।
भगवान विष्णु की ओर पीला भाग और तुलसी जी की ओर लाल रंग रखें।
पूजा के समय अपने हाथों से अक्षत लेकर दक्षिण की ओर खड़ा होकर अक्षत भगवान विष्णु को अर्पित करें।
तुलसी विवाह के दिन तुलसी पर जल ना चढ़ाएं, धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
महिलाएं तुलसी जी के विवाह में तिल का उपयोग करें। तुलसी जी का पौधा जिस गमले में लगा हो,उसमें शालिग्राम भगवान को रखकर तिल चढ़ाना चाहिए।
तुलसी विवाह के दौरान तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
इस पूजा से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।
शुभ मुहूर्त

इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट तक है। इसलिए उदय तिथि और प्रदोष काल के अनुसार तुलसी विवाह 24 नवंबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।

तुलसी विवाह का आयोजन प्रदोष काल में होता है। इस बार तुलसी विवाह के दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रहा है। तुलसी विवाह का मुहूर्त 5 बजकर 25 मिनट के बाद शुरू होगा। इस साल तुलसी विवाह के दिन योग बन रहे हैं।

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