‘जासूस’ के आरोप में पाक जेल में बंद सख्‍स को मिलेंगे 10 लाख, SC ने दिया केंद्र सरकार को आदेश

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह उस व्यक्ति को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और जिसमें वेतन और भत्‍ते शामिल हों, का भुगतान करे, जिसे दिसंबर 1976 में पाकिस्तानी अधिकारियों ने जासूसी गतिविधियों (spy activities by Pakistani authorities) के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने दावा किया कि देश के लिए उसने जो किया उसके लिए उसे डाक विभाग में अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी थी, क्योंकि वो लंबे समय तक देश से बाहर था। वो पाकिस्तानी सेना में भारत का अंडर कवर एजेंट था। पाकिस्तान में उसे 1970 में गिरफ्तार कर उस पर सैन्य अदालत में मुकदमा भी चलाया गया था।

चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की पीठ के सामने याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि वो जयपुर में रेल डाक सेवा का मुलाजिम था. उसे विशेष खुफिया ब्यूरो ने 1974 में देश के लिए पाकिस्तान मिशन पर जाने की पेशकश की वो दो बार इस मिशन पर गया। पहली बार तो काम पूरा कर लौट भी आया, लेकिन दूसरी बार पाक रेंजर्स ने उसे 1976 की सर्दियों में 12 दिसंबर को पकड़ लिया। पाकिस्तान में ऑफिस सीक्रेट एक्ट के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चला दो साल चली सुनवाई के बाद सैन्य अदालत ने उसे 14 साल कैद की सजा सुनाई।

इस मामले में पीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से कहा कि सरकार ने उसके लिए कुछ क्यों नहीं किया इस बारे में सरकार क्या सफाई दे रही है? सरकार ने उसे मिशन पर भेजा और चार साल बाद नौकरी से ये इल्जाम लगाकर हटा दिया कि बिना सूचना के वो लंबे समय तक गैर हाजिर रहा।याचिकाकर्ता के वकील ने दूतावास के साथ किए गए अपने पत्र व्यवहार की प्रतियां भी अदालत को दिखाईं। उसने पीठ को ये भी बताया कि भाई को लिखी ये चिट्ठियां गवाह हैं कि वो पाकिस्तान की जेल में बंद रहा।

शीर्ष अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि 12 सितंबर से तीन सप्ताह के भीतर 75 वर्षीय याचिकाकर्ता मोहम्मद अंसारी को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाए.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------
E-Paper