ट्रेन में फोन चार्ज पर लगाने से पहले देख लें घड़ी, सख्त निर्देश दे चुका है रेलवे, क्या है इसका कारण
नई दिल्ली. अगर आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं और अचानक फोन का चार्ज खत्म हो जाए तो आप तुरंत चार्जिंग सॉकेट के पास जाकर उसका इस्तेमाल करते हैं. अगर यह सुविधा बंद कर दी जाए तो जाहिर तौर पर यात्रियों को परेशानी होगी. रेलवे ने ऐसा कर दिया है. हालांकि, इसके पीछे का मकसद लोगों को तंग करना नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा को और मजबूत करना है. ट्रेन में कई छोटी-मोटी आग की घटनाओं की जांच में पाया गया कि इसका मुख्य कारण सॉकेट में शार्ट सर्किट था. अक्सर लोग रात को फोन या लैपटॉप चार्ज में लगाकर सो जाते हैं जिसे शॉर्ट सर्किट का खतरा पैदा हो जाता है.
रेलवे ने ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए ही रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक ट्रेन के चार्जिंग सॉकेट के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगा दी है. इसका अनुपालन अच्छे तरीके से हो सके इसके लिए यह सुनिश्चित भी किया जाता है कि रात 11 बजे के बाद सॉकेट को मिलने वाली बिजली की मेन सप्लाई ही बंद कर दी जाए. यह कोई नई शुरुआत नहीं है. रेलवे ने 2021 में ही इसे लेकर निर्देश जारी कर दिए थे. पश्चिमी रेलवे ने 16 मार्च को 2021 को चार्जिंग पोर्ट्स में बिजली की सप्लाई बंद कर के इसकी शुरुआत की थी. इससे भी 2014 में रेलवे बोर्ड ने सभी जोन को ऐसा ही करने का निर्देश दिया था.
रेलवे ने ट्रेन में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए ज्वलनशील वस्तुएं ले जाने और धुम्रपान करने पर जुर्माने का प्रावधान किया है. यह रेलवे एक्ट की धारा 164 के दंडनीय अपराध है. इसके तहत अपराधी पर 1000 रुपये का जुर्माना व 3 साल की जेल या दोनों हो सकते हैं. यह निर्देश केवल यात्रियों के लिए नहीं बल्कि रेलवे कर्मचारियों के लिए भी जारी किए गए हैं. रेल मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि सुरक्षा रेलवे परिचालन का केंद्र है और इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती जा सकती.
भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों की सुविधा के लिए कई नियम बनाए हुए हैं. इनमें से एक नियम यह है कि रात के 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक टिकट चेक करने के लिए टीसी आपको जगा नहीं सकता है. हालांकि, अगर आपने ट्रेन रात 10 बजे के बाद ही पकड़ी है तो आपको टिकट दिखानी होगी. इसके अलावा यात्री फर्स्ट एसी में 40 किलो तक जबकि स्लीपर क्लास में 15 किलो तक वजनी सामान ले जा सकते हैं.