पूजा में इस्तेमाल करने के बाद भी महिलाएं नहीं फोड़ती नारियल, जानें असली वजह

नई दिल्ली. हिंदू धर्म में नारियल को पवित्र फल माना गया है. यही कारण है कि पूजा, हवन और यज्ञ आदि कार्यों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. नारियल का प्रयोग और की कई शुभ कार्यों में किया जाता है. इसके अलावा नारियल के जल को अमृत के समान माना गया है. शास्त्रों में इसे श्री फल कहा गया है. इसलिए इसका संबंध श्री यानि लक्ष्मी से है. नारियल के बारे में मान्यता है कि इसे महिलाएं नहीं तोड़ती हैं. आखिर ऐसा क्यों है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहले देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए हवन के बाद बलि देने की प्रथा थी. बली किसी भी प्रिय चीज की दी जाती थी. कालांतर में पूजन के बाद हवन के दौरान नारियल की बलि दी जाने लगी. ऐसा इसलिए क्योंकि नारियल को पवित्र माना जाता है. साथ ही नारियल मनोकामना पूर्ति में सहायक होता है. पुरुष आज भी किसी किसी शुभ कार्य से पहले नारियल तोड़ते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा करना निषेध है. दरअसल नारियल को बीज फल माना जाता है. स्त्री बीज रुप में ही संतान को जन्म देती है. गर्भधारण संबंधी कामना की पूर्ति के लिए नारियल को सक्षम माना जााता है. मान्यता है कि महिलाएं अगर नारियल तोड़ती हैं तो संतान को कष्ट होता है. यही वजह है कि महिलाओं नारियल फोड़ने से मना किया जाता है.

नारियल को कल्पवृक्ष का फल माना गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह कई बीमारियों के लिए औषधि का काम करता है. इसके अलावा नारियल कि पत्तियां और जटाओं को भी अनेक प्रकार से उपयोग किया जाता है. साथ ही धार्मिक दृष्टिकोण से भी नारियल बहुत पवित्र है. इसलिए पूजा-पाठ सहित अन्य धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है.

धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार विश्वामित्र ने भगवान इंद्र से गुस्सा होकर एक अलग स्वर्ग का निर्माण कर लिया. जब महर्षि इसके भी संतुष्ट नहीं हुए तो उसने एक अलग ही पृथ्वी बनाने का निर्णय लिया. कहते हैं कि उन्होंने मनुष्य के रूप में सबसे पहले नारियल की रचना की. यही कारण है कि नारियल को मनुष्य का रूप माना जाता है.

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