प्रेम विवाह पर कानून बनाने का विचार क्यों, किसलिए हो रही ऐसी मांग? जानें क्या कहता है नियम

गुजरात: गुजरात की भाजपा सरकार प्रेम विवाह को लेकर कानून बनाने पर विचार कर रही है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि उनकी सरकार प्रेम विवाह में माता-पिता की मंजूरी को जरूरी बनाने वाली व्यवस्था की संभावना का अध्ययन करेगी, यदि यह संवैधानिक रूप से संभव होगा तो इसे लेकर कानून बनाया जाएगा।

ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर गुजरात में प्रेम विवाह को लेकर क्या हुआ है? इसके लिए कानून बनाने की चर्चा क्यों हो रही है? इस पर नियम कानून क्या हैं?

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा है कि उनकी सरकार एक ऐसी प्रणाली लागू करने की व्यवहार्यता की जांच करेगी जो प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की मंजूरी को अनिवार्य बनाती है, लेकिन केवल तभी जब यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप हो। मेहसाणा में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम ने स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल के साथ हुई अपनी बातचीत की जानकारी साझा की।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मेहसाणा आते समय, रुशिकेश ने मुझसे कहा कि हमें लड़कियों के भागने की घटनाओं पर दोबारा गौर करना चाहिए और प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक अध्ययन करना चाहिए। यदि संविधान इसका समर्थन करता है, तो हम एक अध्ययन करेंगे और सर्वोत्तम संभव परिणाम प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।’

इससे पहले जून 2022 में गुजरात में पाटीदार समुदाय के सदस्यों ने मांग उठाई थी कि अगर समुदाय की कोई लड़की उसके माता-पिता की सहमति के बिना अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी का निर्णय लेती है तो शादी के पंजीकरण के लिए कम से कम एक अभिवावक के हस्ताक्षर को अनिवार्य किया जाए। समुदाय ने कहा था कि इससे ‘लव जिहाद’ के साथ ही उन मामलों पर लगाम लग पाएगी, जिनमें समुदाय की लड़कियों को उनके परिवारों के स्वामित्व वाली संपत्ति पाने के लिए निशाना बनाया जाता है।

एक प्रमुख पाटीदार संगठन विश्व उमिया धाम के अध्यक्ष आर पी पटेल ने मौजूदा हिंदू विवाह अधिनियम में एक प्रावधान जोड़ने के लिए राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपनी की बात भी कही थी। यह बयान अहमदाबाद के पास विश्व उमिया धाम परिसर में 18 पाटीदार संगठनों की बैठक के बाद दिया गया था।

आर पी पटेल ने कहा था कि पाटीदार समुदाय प्रेम विवाह को लेकर परेशान है क्योंकि हमारी लड़कियां माता-पिता को बताए बिना अपना जीवन साथी चुनती हैं और दो गवाहों की व्यवस्था करके शादी कर लेती हैं। कई बार, हमारी लड़कियां दबाव में होती हैं और ‘लव जिहाद’ के उदाहरण पिछले समय में देखे गए है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का बयान राज्य में पाटीदार समुदाय के कुछ वर्गों की मांग के जवाब में आया है। सीएम जिस सम्मेलन में पहुंचे थे वह सरदार पटेल समूह द्वारा आयोजित किया गया था। संगठन का कहना है कि प्रेम विवाह में माता-पिता की सहमति अनिवार्य बनाई जानी चाहिए।

हालांकि, इससे पहले भी कई सामाजिक संगठन और नेताओं द्वारा इस तरह के कानून बनाए जाने की वकालत की जाती रही है। इसी साल मार्च में गुजरात विधानसभा में एक चर्चा के दौरान भाजपा विधायक फतेहसिंह चौहान ने प्रेम विवाह को अपराधों से जोड़ा था। विधायक ने दावा किया था कि माता-पिता की मंजूरी अनिवार्य करने से राज्य में अपराध दर कम हो जाएगी।

विधानसभा में उसी चर्चा के दौरान, कांग्रेस विधायक गेनी ठाकोर ने इस मुद्दे को हल करने के लिए इसी तरह की मांग दोहराई थी। उन्होंने लड़कियों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लड़कों से शादी न करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था, ‘हमारा इरादा प्रेम विवाह का विरोध करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि लड़कियों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लड़कों द्वारा रिश्ते में फंसाया न जाए, जिससे इसमें शामिल लड़कियों को उत्पीड़न और पीड़ा का सामना करना पड़े।’

इसी बीच, प्रेम विवाह के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य बनाने के विचार को कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला का समर्थन मिला है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘ऐसे समय में जब प्रेम विवाह में माता-पिता की उपेक्षा की जाती है, सरकार एक खास व्यवस्था बनाने की योजना बना रही है जो संवैधानिक रूप से संभव है… सीएम ने अनिवार्य माता-पिता की मंजूरी पर एक अध्ययन कराने का आश्वासन दिया है। अगर सरकार विधानसभा सत्र में ऐसा कानून लाती है तो मेरा समर्थन उनके साथ है।’

देश में, शादी की कानूनी उम्र पुरुषों के लिए 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल है। माता-पिता की मंजूरी के लिए कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। कानूनी उम्र पूरी करने वाले जोड़े बिना रोक-टोक के शादी कर सकते हैं।

हालांकि, गुजरात सरकार ने 2021 में गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन किया था। यह कानून विवाह के लिए जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण को दंडित करता है। ऐसे मामलों में कानूनी आयु मानदंड पूरा होने पर भी राज्य सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। लेकिन इस कानून में माता-पिता की मंजूरी का भी कोई विशेष प्रावधान नहीं है।

 

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