राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से अखिलेश यादव, मायावती और जयंत चौधरी ने क्‍यों बनाई दूरी? ये है वजह

नई दिल्ली. 7 सितम्बर से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार को यूपी में प्रवेश कर गई. दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने के लिए खास उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए सिरे से रणनीति तैयार कर रही है. खासकर 1990 से पहले वाला अपना खोया वोट बैंक फिर से जुटाना चाहती है. इसके लिए एक अध्यक्ष समेत छह प्रांतीय अध्यक्ष की तैनाती कर सामाजिक-जातीय समीकरण साधने की कोशिश की. वहीं भारत जोड़ो यात्रा में विपक्ष को भी एकजुट करने की जुगत में जुटी कांग्रेस को यूपी में झटका लगा है. दरअसल यात्रा में शामिल होने के बजाए अखिलेश-मायावती ने बधाई पत्र जारी कर दूरी बना ली. वहीं रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने भी यात्रा से मुंह फेर लिया. ऐसे में सियासी गलियारों में इसकी वजह यात्रा के रूट को लेकर बताई जा रही है.

भारत जोड़ो यात्रा का जो रूट तय किया गया है. इसके लिए सपा, बसपा और रालोद को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. दरअसल शामली, कैराना और बागपत के जिन इलाकों से ये यात्रा गुजरेगी, वह मुस्लिम बहुल इलाके हैं. साथ ही दलित और जाट वोट भी है. वहीं पश्चिमी यूपी में इस वोटबैंक पर सपा, रालोद और बहुजन समाज पार्टी तीनों ही दावा करते हैं. ऐसे राहुल गांधी की अगुवाई में इस यात्रा में शामिल होने का मतलब है कि अपने ही वोटों पर कांग्रेस को जगह देना है. लिहाजा तीनों विपक्षी दलों ने दूरी बना ली है.

90 के दशक से पहले यूपी में कभी मुसलमान और दलित कांग्रेस का कोर वोट बैंक हुआ करते थे. इसके बाद मुस्लिम वोटबैंक समाजवादी पार्टी के साथ चला गया. वहीं दलित वोटों पर ज्यादातर बसपा का कब्जा हो गया. कांग्रेस दोनों ही वर्ग के वोटरों को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है.

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