रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन


बरेली ,16फरवरी । एम.जे.पी. रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली के सौजन्य से “Atal Incubation Centres: Nurturing Women Entrepreneurs for Innovation and Leadership’ विषय पर एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । यह कार्यशाला, ICSSR द्वारा वित्त पोषित लघुकालिक शोध परियोजना का एक हिस्सा थी, जिसका शीर्षक है – महिला उद्यमिता को सशक्त बनाना: अटल इनोवेशन मिशन के अंतर्गत अटल इंक्यूबेशन केंद्रों (AICs) के प्रभाव का मूल्यांकन करना । इस अध्ययन के परियोजना निदेशक शिक्षा विभाग के सहायक आचार्य डॉ. रामबाबू सिंह और डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए अटल इंक्यूबेशन केंद्रों (एआईसी)की भूमिका से परिचित कराना था | कार्यशाला में भाग लेने के लिए पंजीकरण मुफ्त था। कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें महिला उद्यमी, नीति निर्माता, शिक्षक, शोधकर्ता, छात्र-छात्राएं और उद्योग जगत के लोग और निवेशक समेत अन्य संबंधित व्यक्तित्व शामिल थे।
डॉ. रामबाबू सिंह ने सर्वप्रथम शोध परियोजना के उद्देश्य, विधि, और आँकड़ों के संकलन के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने परियोजना के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को स्पष्ट किया और उनकी प्राप्ति के लिए संभावित पथों को परिभाषित किया। उन्होंने बताया कि गुणात्मक और परिमाणात्मक आंकड़े का उपयोग किया, जिनसे AICs के प्रभाव को मापने में सहायता मिली। उन्होंने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित लक्ष्यों की सफलता के बारे में भी चर्चा की, जिससे प्रोजेक्ट की प्रभावीता का मूल्यांकन किया जा सके।
कार्यशाला के संरक्षक माननीय कुलपति प्रो. के.पी. सिंह ने व्यवसाय जगत में महिला भागीदारी की कमी को एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में प्रकट किया। उन्होंने बताया कि इसका समाधान अटल इंक्यूबेशन केंद्रों के माध्यम से हो सकता है, जो महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रवेश के लिए संबंधित शिक्षा, प्रशिक्षण, संगठन, और नेतृत्व का समर्थन प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से, महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में अधिक सक्रिय भूमिका देने में सहायता मिल सकती है, जिससे समाज में उनकी भागीदारी और योगदान बढ़ सके।
इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रोफेसर पी.वी. राजीव थे जो कि महामाना इनोवेशन और उद्यमिता फाउंडेशन-बीएचयू, वाराणसी के निदेशक हैं । प्रो. राजीव ने बताया कि अटल इंक्यूबेशन केंद्र जिनका निर्माण भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा अटल इनोवेशन मिशन के तहत किया गया है, इन का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। ये केंद्र स्टार्टअप्स और प्रारंभिक चरण के उद्यमों के लिए एक संवर्धनशील वातावरण प्रदान करते हैं, जिसमें संसाधनों, मेंटरशिप, नेटवर्किंग अवसर, और बुनियादी ढांचे की पहुँच सम्मिलित हैं। अटल इंक्यूबेशन केंद्र विशेषकर महिलाओं द्वारा चलाये जाने वाले उद्यमों का समर्थन करके, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, और सामाजिक विकास में योगदान करते हैं। महिला उद्यमिता को समर्थन के लिए उनके विशेष कार्यक्रमों, वित्तीय संभावनाओं, मेंटोरिंग कार्यक्रमों, और इंफ्रास्ट्रक्चर के उपलब्धता के बारे में उन्होंने विस्तृत चर्चा की। उन्होंने महिला उद्यमिता को समर्थन के लिए उपलब्ध आर्थिक संभावनाओं और मेंटोरिंग कार्यक्रमों के महत्व को भी उजागर किया, जो उन्हें अपने व्यवसायिक सपनों को साकार करने में मदद कर सकते हैं।
इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में, प्रबंधन संकाय की डीन और हेड प्रो. तुलिका सक्सेना ने बताया कि महिला उद्यमिता में आने वाली चुनौतियों पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है , जैसे कि वित्त प्राप्ति सुविधाजनक बनाना , काम व घरेलु जीवन संतुलन बनाना, और मानसिक पूर्वाग्रह हटाना आदि । प्रो. तुलिका सक्सेना ने इन समस्याओं के सामने आने के कारणों और उनके समाधान के लिए उपायों पर विचार किया। उन्होंने महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्हें सामाजिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें अपनी क्षमताओं में अभिवृद्धि करने और उनकी सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए रणनीतियों के बारे में बताकर महिला उद्यमियों व छात्राओं का मार्गदर्शन किया ।
विशेष अतिथि के रूप में, शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. रश्मि अग्रवाल ने अपने भाषण में महिला उद्यमिता और शिक्षा के महत्व पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ‘अटल’ को एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में वर्णित किया। ‘अटल’ का यह उपनाम, जो जागरूकता, प्रशिक्षण, पहुंच, और नेतृत्व को संक्षेपित करता है, महिलाओं को उनकी क्षमताओं का समग्र उपयोग करके स्वतंत्र और सक्रिय उद्यमिता के रास्ते में मार्गदर्शन करने का एक साधन है। यह महिला उद्यमियों को उनके विकास के लिए आवश्यक संसाधनों, जैसे कि शिक्षा, प्रशिक्षण, और नेटवर्किंग, की पहुंच प्रदान करता है, जिससे वे समाज में अपनी विशेषता को प्रकट कर सकें और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो सकें। इस प्रकार, ‘अटल’ महिलाओं को उद्यमिता के शिक्षा और समर्थन में एक महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करता है।
डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी ने अपने शोध परियोजना की प्रमुख परिणामों को साझा किया । उन्होंने बताया कि AICs के अंतगत विभिन्न प्रकार के महिला उद्यमियों के सहभागिता में वृद्धि के पीछे कुछ मुख्य कारक हैं, जैसे कि AICs द्वारा महिला उद्यमियों को समर्थन प्रदान करने के संदर्भ में, महिलाओं के विचार में समग्र माना जाना, महिला उद्यमियों का AIC सेवाओं से अत्यधिक संतुष्ट होना आदि । इसके अलावा, यह सुझाव भी दिए कि AICs को महिला उद्यमियों की अनुभव को और अधिक समृद्ध बनाने के लिए विशेष लक्ष्य आधारित कार्यक्रम विकसित करने चाहिए, जिसमें मेंटरशिप , उद्योग-विशेष नेटवर्किंग आयोजन, और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में महिला उद्यमियों की सहायता के लिए विशेष सेवाएं सम्मिलित हो। इस अवसर पर प्रो. संतोष अरोरा, डॉ. प्रतिभा टीवी सागर, डॉ. प्रवीण तिवारी, डॉ. कीर्ति प्रजापति आदि शिक्षक उपस्थित थे|

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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