विदेशी महिला से रेप और हत्या मामले में कोर्ट ने दोषियों को दी डबल उम्रकैद

तिरुवनंतपुरम: केरल की अतिरिक्त जिला सत्र अदालत ने विदेशी महिला के साथ रेप और हत्या मामले में दोषियों को डबल उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का अपराध इतना घिनौना है कि इसके लिए इससे कम सजा और कुछ नहीं हो सकती है। बताया जाता है कि आयरलैंड की रहने वाली लातवियाई महिला अपने मानसिक रोग का इलाज कराने के लिए बहन के साथ भारत के केरल आई हुई थी। घटना साल 2018 की है जहां आयुर्वेद उपचार के लिए आई महिला के साथ घटना को अंजाम दिया गया। अदालत ने कहा कि दोषी उमेश (32) और उदयकुमार (28) को मरते दम तक जेल में रहना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि दोनों दोषियों में से प्रत्येक को 1.71 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा।

बहन को मिलेगा जुर्माने का हिस्सा
अदालत ने कहा कि कुल 3.42 लाख रुपये के जुर्माने में से 2 लाख रुपये विदेशी महिला की बहन इल्जे को दिए जाने चाहिए। अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 (डी) (सामूहिक बलात्कार और हत्या), 328 (कई लोगों के जरिए किया गया आपराधिक कृत्य), 366 (अपहरण), 342 (गलत तरह से प्रतिबंधित करना) के तहत 45 साल और 9 महीने के सश्रम कारावास की भी सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने दोषियों पर 201 (सबूत नष्ट करना) और 20 (बी) (2) (ए) एनडीपीएस एक्ट (ड्रग्स रखना) की भी धाराएं भी लगाई हैं।

विदेशी महिला से रेप और हत्या मामले में न्यायाधीश के सानिल कुमार ने इस मामले में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि जुर्माना अदा न करने की स्थिति में अभियुक्त को 6 साल एक महीने का कठोर कारावास और 10 महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। अदालत ने कहा कि ये सजाएं साथ-साथ चलेंगी। हत्या के आरोप में आईपीसी की धारा 302 के तहत आरोपियों को उम्रकैद और 50-50 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। दोषियों को रेप और हत्या के लिए आईपीसी की धारा 376 (ए) के तहत दूसरी आजीवन कारावास की सजा दी गई। जिसका मतलब है कि उनके बाकी बचे जीवन के लिए भी कारावास तय किया गया है। दुष्कर्म की धारा 376(1) के तहत आरोपितों को दस-दस साल के कठोर कारावास व 50-50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।

दोषी बोले- हम निर्दोष हैं
रेप और हत्या मामले में दोषी उमेश और उदयकुमार ने सजा पर सवाल उठाते हुए अदालत से कहा था कि वे निर्दोष हैं। हालांकि विशेष लोक अभियोजक जी मोहनराज ने फैसले को उपयुक्त बताया। जबकि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इस बात का कोई प्रामाणिक सबूत नहीं है कि आरोपी अपराध में शामिल थे। वकील ने कहा कि फैसले को बचाव पक्ष चुनौती दे सकता है। इस मामले को साबित करने में अभियोजन पक्ष के लिए एक कठिन काम था। क्योंकि कोई गवाह नहीं था और एक सड़े हुए शरीर से वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र करना बहुत मुश्किल था। इस घटना में शव अपराध के 38 दिन बाद मिला था। साथ ही फोरेंसिक टीम को रेप का आरोप साबित करने के लिए शरीर से शुक्राणु के नमूने नहीं मिले थे।

जांच टीम और अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने के लिए साक्ष्यों पर भरोसा किया। जिससे कि यह साबित हुआ कि आरोपी उसे मौके पर ले गया था। मुकदमे के दौरान दो गवाहों के मुकरने के बावजूद अभियोजन पक्ष अदालत को यह विश्वास दिला सका कि अभियुक्त ने पीड़िता की रेप के बाद हत्या कर दी थी। 33 साल की लातवियाई महिला 14 मार्च, 2018 को लापता हो गई थी। जिसके बाद उसका क्षत-विक्षत शव 20 अप्रैल को पनाथुरा में एक मैंग्रोव से बरामद किया गया था। इस मामले की जांच उस समय फोर्ट के एसीपी रहे डीएसपी दिनिल जेके ने की थी।

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