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मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एण्ड इन्फ्रस्ट्रक्चर लि के 329 विक्रय-विलेख रेरा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन करते हुए निष्पादित

लखनऊ: मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एण्ड इन्फ्रस्ट्रक्चर लि. द्वारा दिनांक 26.03.2022 से लेकर 14.08.2024 तक की अवधि में विभिन्न तिथियों पर हाईटेक टाउनशिप, सुशान्त गोल्फ सिटी, लखनऊ के सेक्टर M के अपंजीकृत पॉकेट-1 A, 2 कुल 58 विक्रय-विलेख, सेक्टर H के अपंजीकृत पॉकेट-1, 2A, 2B, 2C में कुल 32 एवं इसी सेक्टर H के अपंजीकृत एक पॉकेट में 104 विक्रय-विलेख, इस सेक्टर के इन पॉकेट्स में प्रोमोटर द्वारा कुल 136 विक्रय-विलेख, सेक्टर J के अपंजीकृत पॉकेट-1 में 48 विक्रय-विलेख, सेक्टर G के अपंजीकृत पॉकेट-3B एवं 5 में कुल 82 विक्रय-विलेख, सेक्टर F के अपंजीकृत पॉकेट-2A में 04 विक्रय-विलेख तथा सेक्टर B के अपंजीकृत पॉकेट-4 में 01 विक्रय-विलेख, इस प्रकार इन सभी सेक्टर्स के अपंजीकृत पॉकेट्स में कुल 329 विक्रय-विलेख रेरा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन करते हुए निष्पादित किए गये हैं।

इस सम्बन्ध में प्राधिकरण द्वारा प्रोमोटर को कारण दर्शाओ नोटिस प्रेषित किये गये। प्रोमोटर द्वारा प्राधिकरण की नोटिसों के क्रम में कोई उत्तर अथवा अनुपालन आख्या प्रस्तुत नहीं की गयी। बार-बार समय देने के बावजूद उत्तर न दिये जाने के कारण प्रोमोटर को प्राधिकरण की अपनी 161वीं बैठक में व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। प्रोमोटर द्वारा प्राधिकरण की उक्त बैठक में उपस्थित होकर उत्तर प्रस्तुत करने हेतु अतिरिक्त समय की मांग की गयी, जिस पर प्रोमोटर को उत्तर प्रस्तुत करने हेतु 15 दिन समय प्रदान किया गया।
प्राधिकरण की 162वीं में प्रोमोटर द्वारा प्राधिकरण की कारण दर्शाओ नोटिस का उत्तर सुनवाई के समय ही उप-प्रबन्ध निदेशक के हस्ताक्षर से प्रस्तुत किया गया। निर्गत 06 नोटिसेज के सापेक्ष प्रोमोटर द्वारा अलग-अलग नोटिसेज का उत्तर अलग-अलग न देते हुए सभी नोटिसेज का एक ही उत्तरालेख प्रस्तुत किया गया। प्रोेमोटर एवं उनके विद्वान अधिवक्ता को विस्तृत रूप से सुना गया एवं अभिलेखों का गहनता से परिशीलन किया गया।

प्रोमोटर के लिखित कथन का गहन अध्ययन एवं मौखिक बहस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने के उपरान्त यह पाया गया कि प्रोमोटर द्वारा उपर्युक्त सेक्टर्स के अपंजीकृत पॉकेट्स में किये गये विक्रय में रेरा अधिनियम की धारा-3 के उल्लंघन से सम्बन्धित नोटिस का प्रस्तुत किया गया उत्तर विधिक रूप से मान्य नहीं है और रेरा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन प्रमाणित है। प्राधिकरण द्वारा सम्यक विचारोपरान्त अधिनियम की धारा-59(1) के अन्तर्गत उक्त सभी अपंजीकृत पॉकेट्स में विक्रय किये जाने के कारण आंकलित अनुमानित लागत के आधार पर रेरा अधिनियम की धारा-59(1) के अनुसार 10 प्रतिशत की कुल रू.14,40,90,000/- (चौदह करोड़ चालीस लाख नब्बे हजार रूपये) की शास्ति आरोपित की गयी। प्रोमोटर द्वारा शास्ति की उक्त धनराशि 30 दिन के अन्दर जमा न करने तथा रेरा अधिनियम की धारा-59(1) में पारित आदेश का अनुपालन न करने की स्थिति में अधिनियम की धारा-59(2) के अधीन कार्यवाही की जायेगी।

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