पारुल ग्रामोफ़ोन की तरफ़ से आयोजित 20 दिवसीय अभिनय कार्यशाला ‘ स्वांग ‘ का समापन
लखनऊ: पारुल ग्रामोफ़ोन की तरफ़ से आयोजित 20 दिवसीय अभिनय कार्यशाला ‘ स्वांग ‘ का समापन 14 मई को है। और 14 मई को हम लोग इस कार्यशाला का समापन एक नाटक की प्रस्तुति से कर रहे हैं। नाटक हरिशंकर परसाई की कहानी ‘ मातादीन चांद पर आधारित है। इस नाटक में दिखाया गया है कि चांद पर भी लोग रहते हैं और उन्होंने वहां से हमारी सरकार को पत्र भेजा है और मदद मांगी है कि उनकी पुलिस को बेहतर बनाने के लिए किसी ऑफिसर को भेजा जाए। वैसे तो चांद राज्य में सब बेहतर है लेकिन उनकी पुलिस उतनी एक्टिव नहीं है। इसलिए वे पत्र भेजकर मदद मांगते हैं। मीटिंग में सबकी सहमति से तय होता है और पुलिस मंत्री मातादीन को चांद पर भेजने के लिए राज़ी हो जाते हैं। मातादीन वहां जाते ही धीरे – धीरे वहां की पुलिस के साथ – साथ पूरी व्यवस्था को भ्रष्ट बना देते हैं। वहां की पुलिस भी अपराधी की जगह निर्दोष को सज़ा देने लगती है। घूसखोरी करने लगती है। देखते – देखते चांद राज्य में अफरा – तफ़री मच जाती है और संसद का अधिवेशन बुलाकर ये तय किया जाता है कि मातादीन के मंत्री को एक पत्र लिख दिया जाए और मातादीन को वापस बुला लिया जाए। क्योंकि चांद राज्य के लोगों का मानना था उन्होंने वहां की आधी संस्कृति को तो नष्ट कर हीं दिया था कहीं वो पूरी न कर दें। और अंत में मातादीन को वापस पृथ्वी पर भेज जाता है। इसमें अभिनय पारुल शर्मा ,नीलम यादव ,विनीता शुक्ला ,निवेदिता मोहन ,अर्चना सेठ ,विशाखा श्रीवास्तव ,अर्चना धनुक,मनीषा सिंह ,सुषमा गर्ग, नीलम भसीन जी ने किया है। कार्यशाला का निर्देशन शुभम तिवारी कर रहे थे।