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कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से जुड़े बिल को दी मंजूरी, मौजूदा सत्र में पेश करने की तैयारी

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयकों को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बताया कि विधेयकों को मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट इसी साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। रिपोर्ट में पहले चरण के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई है। उसके बाद दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की वकालत की गई। रिपोर्ट में किसी सरकार के अविश्वास प्रस्ताव के कारण सरकार गिरने जैसी घटना को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं।

सितंबर में सरकार ने आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। रिपोर्ट के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर विचार करते समय अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की संभावना तलाशने के लिए गठित आयोग ने दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और बेल्जियम समेत सात देशों की चुनाव प्रक्रिया का अध्ययन किया है। ऐसे देश जहां एक साथ चुनाव होते हैं, उनमें जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलिपीन भी शामिल हैं।

एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए सरकार को कानूनी रूप से टिकाऊ तंत्र विकसित करना चाहिए। पहले चरण में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। दूसरे चरण में, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ इस तरह से समन्वित किया सकता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव, संसदीय और विधानसभा चुनाव 100 दिनों के भीतर होने चाहिए।

राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख को “नियत तिथि” के रूप में अधिसूचित करेंगे, ताकि निरंतर समन्यवय स्थापित हो सके। “नियत तिथि” के बाद नवगठित राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के हिसाब से छोटे किए जाएं। एक बार के अस्थायी उपाय के बाद, सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव भविष्य में एक साथ हो सकेंगे।

त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी घटना की स्थिति में नई लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में लोकसभा चुनाव के बाद नवगठित सरकार पिछली सरकार के कार्यकाल को पूरा करेगी। वहीं, राज्य विधानसभा अपना पूरा कार्यकाल जारी रखेगी, जब तक सरकार भंग नहीं हो जाती।

राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा एक एकल मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) तैयार किया जाएगा और यह चुनाव आयोग द्वारा तैयार की गई किसी भी अन्य मतदाता सूची का स्थान लेगा। एक साथ चुनाव कराने के लिए साजो-सामान की व्यवस्था करने के लिए, चुनाव आयोग ईवीएम और वीवीपैट जैसे उपकरणों की खरीद, मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की तैनाती और अन्य आवश्यक व्यवस्था करने के लिए पहले से एक योजना और अनुमान तैयार करेगा।

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