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Deva Movie Review: शाहिद कपूर की फिल्म “देवा” में कुछ खास नहीं, बस वही पुराना अंदाज

फिल्म “देवा” रिलीज हो चुकी है और इसमें शाहिद कपूर मुख्य भूमिका में हैं। उनका किरदार एक पुलिसवाले का है, जो दो बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है – एटीट्यूड और एंगर इश्यूज। इन समस्याओं के कारण उसे अपने ही साथी पुलिसकर्मियों और जूनियर अफसरों से डर और नफरत मिलती है। देव का गुस्सा और आक्रामक अंदाज उसे “पुलिस वाला माफिया” की उपाधि दिलवाता है। फिल्म के पहले कुछ दिनों में, शाहिद के इस किरदार को अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन से भी जोड़ा गया था। लेकिन जब फिल्म देखी, तो यह साफ दिखा कि शाहिद का किरदार बहुत हद तक “कबीर सिंह” से मिलता-जुलता है, खासकर उस सीन से जब कबीर प्रीति पर रंग डालने वालों से बदला लेने जाता है। वहीं गुस्सा, वही अंदाज, और वही एटीट्यूड, जो देव में भी दिखता है। ऐसे में, देव और कबीर सिंह में फर्क करना काफी मुश्किल हो जाता है।

*देवा की कहानी*
देवा की कहानी 2005 में आई मलयालम फिल्म “मुंबई पुलिस” से प्रेरित है। बस इसका क्लाइमैक्स थोड़ा अलग है। फिल्म के लेखक टीम में छह लोग हैं – बॉबी संजय, अब्बास दलाल, हुसैन दलाल, अरशद सईद, और सुमित अरोड़ा – बावजूद इसके, फिल्म अपनी पकड़ नहीं बना पाई। पूरी फिल्म में देव के किरदार को ही आकार देने की कोशिश की गई है, लेकिन वह भी कुछ खास असरदार नहीं हो पाया। फिल्म की हिरोइन पूजा हेगड़े का किरदार भी सवालों के घेरे में है। फिल्म में उनका होना कहीं से भी समझ में नहीं आता।

*शाहिद का अभिनय*
शाहिद कपूर का अभिनय पहले की तरह ही “कबीर सिंह” की याद दिलाता है। लगता है जैसे वह उस किरदार से बाहर निकल ही नहीं पाए हैं। उनकी एक्टिंग को देखकर ऐसा लगता है कि वह देव के किरदार में भी वही गुस्सा और एटीट्यूड लेकर आए हैं, जो कबीर सिंह में था।

*सपोर्टिंग कास्ट और डायरेक्शन*
फिल्म में पवैल गुलाटी, कुब्रा सैत और प्रवेश राणा जैसे कलाकारों ने अच्छा काम किया है। लेकिन, फिर भी फिल्म को कोई खास चमक नहीं मिल पाई। डायरेक्टर रोशन एंड्रयूज मलयालम सिनेमा के स्थापित निर्देशक हैं, लेकिन बॉलीवुड में उनकी यह फिल्म काफी फीकी पड़ी। फिल्म की कहानी मुंबई में सेट है, लेकिन मुंबई को इस तरह से दिखाया नहीं गया, जैसे अपेक्षित था। उनके निर्देशन में भी कोई खास बात नहीं थी।

*एक्शन और म्यूजिक*
फिल्म के एक्शन सीन सुप्रीम सुंदर, अब्बास अली मुगल, अनिल अरासु, परेज शेख, और विक्रम दहिया ने डिजाइन किए हैं, लेकिन वे भी उतने प्रभावी नहीं रहे। देवा का म्यूजिक विशाल मिश्रा ने दिया है, लेकिन इसमें कुछ खास नहीं है।

*कुल मिलाकर*
देवा को आप एक रिव्यू से ज्यादा एक रैंट कह सकते हैं। जब मैं फिल्म देख रहा था, तब सिनेमाघर में मैं अकेला था और अगले शो में भी महज 4-5 सीटें ही बुक हुई थीं। अगर आप “देवा” देखने जा रहे हैं, तो बिना ज्यादा उम्मीद के जाइए। आपको बस वही पुराना शाहिद कपूर और एक रीमेक कहानी नए अंदाज में देखने को मिलेगा।

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