निर्देशक कुणाल खेमू कहते हैं, “मडगांव एक्सप्रेस मेरे लिए बेहद खास है, सिर्फ इसलिए नहीं कि यह एक निर्देशक के तौर पर मेरी पहली फिल्म है
मुंबई, सितंबर 2024: अपनी सीटबेल्ट बांध लीजिए और एक मजेदार सफर के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि ज़ी सिनेमा आपके टीवी स्क्रीन्स पर फिल्म ‘मडगांव एक्सप्रेस’ का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर लेकर आ रहा है! जबर्दस्त ट्विस्ट और जोरदार कॉमेडी से भरपूर यह बहुप्रतीक्षित फिल्म शनिवार, 28 सितंबर को रात 8 बजे प्रीमियर के लिए तैयार है। यह फिल्म इमोशंस का उफान है, जहां एक मजेदार गोवा ट्रिप का एक सीधा-सादा प्लान मुसीबतों के जाल में उलझ जाता है। जोरदार हंसी, कुछ गहरे राज़ और जबर्दस्त मनोरंजन से भरपूर यह फिल्म परिवारों और रोमांच-प्रेमियों के लिए एक देखने लायक बेहतरीन वीकेंड फिल्म है।
“पहले पूरी जिंदगी गोवा आ नहीं पा रहे थे, अब यहां से जा नहीं पा रहे हैं” – इस एक लाइन में ही कहानी का सार है जिसे बड़े मजेदार और हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश किया गया है। कॉलेज के दिनों में अक्सर हम में से बहुतों का गोवा ट्रिप का सपना अधूरा रह जाता है, लेकिन इस कहानी में ये हसरत जल्द ही एक बुरे ख्वाब में बदल जाती है! फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी के एक्सेल एंटरटेनमेंट के निर्माण में बनी ये फिल्म अपनी दिलचस्प कहानी और दिव्येंदु, प्रतीक गांधी, अविनाश तिवारी और नोरा फतेही जैसे दमदार कलाकारों की दिलकश अदाकारी के साथ दर्शकों को बांधे रखने का वादा करती है। अपनी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग के लिए मशहूर कुणाल खेमू के निर्देशन में बनी यह फिल्म हंसी और रोमांच का एक बेमिसाल डोज़ लेकर आती है!
, बल्कि इस फिल्म को बनाने का पूरा अनुभव भी खास रहा। मेरे मन में लंबे समय से तीन दोस्तों के बारे में यह ख्याल था, जिनका सफर ये बताता है कि कैसे उम्मीदें अक्सर हकीकत से टकराती हैं। यह गोवा की मेरी पहली यात्रा से प्रेरित है, जो मैंने मडगांव एक्प्रेस में की थी। ये फिल्म एक क्लासिक एंटरटेनर का अनुभव देती है, जिसका हर कोई मजा ले सकता है। यह फिल्म पूरे दिल से बनाई गई है, और ये बात स्क्रीन पर भी साफ नज़र आती है।”
दिव्येंदु ने कहा, “जब मैंने पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे वाकई हंसी आ रही थी। मैंने काफी समय से ऐसा कुछ नहीं पढ़ा जो इतना मज़ेदार और असली हो। कॉमेडी करना मुश्किल है, लेकिन इसका लेखन बिल्कुल सटीक था, खासकर मेरे किरदार डोडो के लिए। डोडो हर ग्रुप का वो दोस्त है जो पीछे छूट गया है, और ज़िंदगी की दौड़ भाग में फंस गया है, और मुझे लगता है कि लोग वाकई उससे जुड़ पाएंगे। उसके अकेलेपन और सबसे दूर हो जाने के जज़्बातों को पूरी तरह से समझने में वक्त लगा। शूटिंग के बाद प्रतीक और अविनाश के साथ घूमने से मुझे अगले दिन के लिए तैयार होने में मदद मिलती थी। इसका लेखन वाकई शानदार था, जिसमें किरदारों के जरिए स्वाभाविक रूप से हंसी बह रही थी। अगर इसे पढ़ना इतना मजेदार था, तो मैं जानता था कि इसे परफॉर्म करना वाकई धमाल होगा।”
प्रतीक गांधी ने कहा, “कुणाल, दिव्येंदु, नोरा और अविनाश जैसे मज़ेदार और टैलेंटेड ग्रुप के साथ काम करना हमेशा खुशी की बात होती है। मैंने उनमें से हर एक से बहुत कुछ सीखा! सेट पर कई मज़ेदार पल आए, साथ ही कुछ पल बड़े अजीब भी थे, जैसे कि जब मेरा कंधा उखड़ गया था। लेकिन कुणाल, बड़े स्पष्ट और खोजी किस्म के निर्देशक हैं जिन्होंने बड़े शानदार ढंग से इसे फिल्म में शामिल कर लिया। शूटिंग के दौरान हमारी क्रिएटिविटी का यही आलम था। हर कलाकार ने एक अनोखे और दिलचस्प किरदार को सामने लाया।”
अविनाश तिवारी ने कहा, “मुझे याद है कि जब कुणाल हमें कहानी सुना रहे थे, तो हर कोई दिल खोलकर हंस रहा था। मुझे पता था कि यह दर्शकों को पसंद आने वाली है। हमने सेट पर बहुत मज़ा किया, और मैं बस इतना कह सकता हूं कि कुछ पल बड़े वास्तविक बन पड़े। जहां तक मेरे किरदार की बात है, तो यह कुछ ऐसा था जो मैंने पहले नहीं किया था। वो ग्रुप में सबसे होशियार है, लेकिन फिर भी बहुत जोशीला है, उसके बहुत-से पहलू हैं। मैं इस बात को लेकर बेहद रोमांचित हूं कि अब सभी ज़ी सिनेमा पर यह फिल्म देखेंगे और उसी हंसी का अनुभव करेंगे जो हमने शूटिंग के दौरान की थी।”
नोरा फतेही ने कहा, “नरेशन के दौरान इस स्क्रिप्ट में तुरंत मेरी दिलचस्पी जाग गई। यह बहुत मजेदार और हंसी से भरपूर था। मैंने जो किरदार निभाया है, वो वाकई दिलचस्प है। वो हमेशा गड़बड़ करती है, लेकिन आखिरकार वो ही सबकुछ संभाल लेती है। कुणाल, दिव्येंदु, प्रतीक और अविनाश जैसे मज़ेदार ग्रुप के साथ काम करना कमाल का अनुभव था। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा! मैं निश्चित रूप से आगे भी इस तरह के और रोल्स निभाना चाहूंगी।”