भारत और जर्मनी एडवांस्ड मैटेरियल्स में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए राजी
नई दिल्ली : भारत और जर्मनी ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए कटिंग-एज तकनीक और उन्नत सामग्रियों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और जर्मन के मंत्री बेट्टिना स्टार्क-वाटजिंगर द्वारा किया गया।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने हाल में दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक सफलताओं पर प्रकाश डाला था। उन्होंने इस बयान में “अपशिष्ट से संपदा” और टिकाऊ पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में 2+2 संयुक्त परियोजनाओं के शुभारंभ की अपील के साथ ही ‘स्थायित्व के लिए एआई’ में प्रस्तावों के लिए भी प्रतिबद्धता जाहिर की।
मंत्री ने कहा कि ये पहल और संयुक्त घोषणा-पत्र, भारत के प्रधानमंत्री और जर्मनी की चांसलर द्वारा आयोजित आगामी भारत-जर्मन अंतर-सरकारी बैठक में मुख्य परिणाम के रूप में प्रस्तुत किए जाएंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने संयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारत-जर्मन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) की भी सराहना की। भारत-जर्मन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र ने 50 से अधिक परियोजनाओं को समर्थन दिया है और दोनों देशों के युवा शोधकर्ताओं को जोड़ा है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और जर्मन के मंत्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर के बीच हुई इस चर्चा में आईआईएसईआर त्रिवेंद्रम और वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय के बीच हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रशिक्षण समूह (आईआरटीजी) की स्थापना का विषय प्रमुख था। यह सुपरमॉलेक्यूलर मैट्रिसेस में फोटोलुमिनेसेंस पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो दोनों देशों के बीच विकसित किए जा रहे उन्नत, सहयोगात्मक अनुसंधान का प्रमाण है।
जर्मनी सरकार के मंत्री ने इस बात की फिर से पुष्टि की कि भारत लंबे समय तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स के लिए प्रतिबद्ध है, जैसे कि जर्मनी के डार्म्सटैट में स्थित फैसिलिटी फॉर एंटीप्रोटॉन एंड आयन रिसर्च। इस प्रोजेक्ट में भारतीय वैज्ञानिक प्रमुख भूमिका निभाते हैं और उन्नत सामग्री और पार्टिकल फिजिक्स के शोध में योगदान देते हैं। दोनों मंत्रियों के बीच बातचीत में भारत के राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन जैसी राष्ट्रीय पहलों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, टिकाऊ कृषि और उन्नत सामग्री सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना है।