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भारत लक्षद्वीप में बनाएगा दो मिलिट्री एयरफील्ड्स, अरब सागर में बढ़ जाएगी सैन्य शक्ति

नई दिल्ली : लक्षद्वीप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद अब भारत सरकार ने तय किया है कि अगाती और मिनिकॉय आइलैंड्स पर दो नए एयरफील्ड्स बनाए जाएंगे. अगाती पर मौजूद पुराने रनवे को सुधारा जाएगा. बढ़ाया जाएगा. जबकि मिनिकॉय आइलैंड पर नया रनवे बनाया जाएगा.

फ्यूचर में मिनिकॉय द्वीप पर नौसैनिक बेस आईएनएस जटायु भी बनाया जाएगा. इस बेस की दूरी मालदीव से 524 किलोमीटर है. इस बेस और रनवे से भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना मालदीव और चीन की हरकतों पर सीधी नजर रख पाएंगे.

अगाती आइलैंड की एयरस्ट्रिप को अपग्रेड किया जा रहा है. ताकि भारतीय सेनाएं हिंद और अरब महासागर में शांति स्थापित कर सकें. इसके अलावा इंडो-पैसिफिक रीजन में समुद्री सुरक्षा को बरकरार रख सके. पूर्व में अंडमान और पश्चिम में लक्षद्वीप पर मजबूत तैनाती से भारत की समुद्री सीमा सुरक्षित रहेगी. साथ ही दोनों द्वीप समूहों पर पर्यटन भी बढ़ेगा. लोग यहां घूमते समय सुरक्षित महसूस करेंगे.

सरकार के विश्वस्त सूत्रों ने India Today को बताया कि मिनिकॉय द्वीप पर ड्यूल परपज़ एयरफील्ड बनाया जाएगा. एयरपोर्ट होगा. जहां से फाइटर जेट्स का संचालन तो होगा ही. इसके अलावा यहां पर आम नागरिक विमान भी आ-जा सकेंगे. साथ ही अन्य मिलिट्री एयरक्राफ्ट की लैंडिंग और टेकऑफ हो पाएगा.

इससे पहले सिर्फ मिलिट्री इस्तेमाल के लिए एयरफील्ड बनाने का प्रस्ताव सरकार के पास गया था. लेकिन अब उसे अपग्रेड करके ड्यूल परपज़ एयरफील्ड के तौर पर फिर से भेजा गया है. अगर यहां पर एयरफील्ड बनती है तो भारत अरब सागर और हिंद महासागर में चारों तरफ कड़ी निगरानी रख सकेगा. समुद्री लुटेरों की कार्यवाही पर विराम लगा सकेगा.

नौसेना और वायुसेना के लिए हिंद महासागर और अरब सागर में ऑपरेशन करना ज्यादा आसान हो जाएगा. साथ ही चीन की बढ़ती गतिविधियों पर रोक लगाने का मौका भी मिलेगा. मिनिकॉय आइलैंड पर एयरस्ट्रिप बनाने का सबसे पहला प्रस्ताव भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guards) ने दिया था. वर्तमान प्रस्ताव के तहत इस नए एयरपोर्ट और एयरफील्ड का संचालन भारतीय वायुसेना करेगी.

लक्षद्वीप के आसपास फिलहाल सिर्फ एक ही एयरस्ट्रिप है. ये अगाती आइलैंड पर है. यहां पर हर तरह के विमान उतर नहीं सकते. सूत्रों ने बताया कि इस एयरपोर्ट को बनाने का प्रस्ताव फुलप्रूफ है. कई बार रिव्यू किया जा चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद ये पूरा द्वीप समूह चर्चा में आया था.

लक्षद्वीप के कवरत्ती आइलैंड ( Kavaratti Island) पर भारतीय नौसेना का INS Dweeprakshak नौसैनिक बेस है. यहां पर भारतीय नौसेना पहले से मजबूत है. लेकिन अब तैयारी हो रही है वायुसेना की मौजूदगी और ताकत को बढ़ाने की. आईएनएस द्वीपरक्षक दक्षिणी नौसैनिक कमांड का हिस्सा है. यहां पर 2012 से संचालित हो रहा है. नौसेना कवरत्ती द्वीप पर 1980 के दशक से संचालन कर रही है. यहां पर उसकी स्थाई फैसिलिटी मौजूद थी.

जैसे ही मिनिकॉय में एयरफील्ड बनेगा, उसकी वजह से इस इलाके के आसपास चीन की नौसेना जो हरकत करती है, उस पर विराम लगेगा. साथ ही जो व्यवसायिक जहाज सुएज कैनाल और पारस की खाड़ी की तरफ जाते हैं उन्हें 9 डिग्री चैनल यानी लक्षद्वीप और मिनिकॉय वाले रूट से जाना होता है.

किसी जहाज को सुंदा और लोंबक की खाड़ी की तरफ जाना है तो उसे दस डिग्री चैनल यानी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास से गुजरना होगा. ऐसे में दोनों जगहों पर मजबूत सुरक्षा और निगरानी दस्ता होना चाहिए. जो जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंहतोड़ जबाव दे सके. साथ ही आसपास के इलाके में शांति बनाए रखे.

 

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