रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में इंम्पोॅटेंस ऑफ मल्टीलिंगुअलिस्म विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन
बरेली, 14 सितम्बर। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग में स्थापित सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस फॉर मल्टीलिन्गुअल स्टडीज के द्वारा आज इम्पोर्टेंस ऑफ़ मल्टीलिन्गुअलिस्म (बहुभाषा का महत्व) विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे मुख्य वक्ता ताइवान से आयी मंडारिन भाषा की विशेषज्ञ मिस ची चेन शू, जर्मन भाषा के विशेषज्ञ डॉ० रजनीश गुप्ता , हिन्दी विशेषज्ञ प्रो. के के कौशिक , जामिया मिलिया इस्लामिया , दिल्ली एवं फ्रेंच भाषा के विशेषज्ञ मिस्टर पीयूष चौबे ने अपनी अपनी भाषाओं के महत्व पर विचार प्रस्तुत किये । कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि प्रो. शोभना सिंह डीन, इंजीनियरिंग एवं प्रो. एस. एस. बेदी , डायरेक्टर इंटरनेशनल रिलेशन उपस्थित रहेl कार्यशाला में आये छात्रों को मिस ची चेन शू ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बहुभाषा के महत्व को विस्तार से बताते हुए समझाया कि ये विदेशी भाषाएँ छात्रों को उनके भविष्य में रोजगार प्राप्त करने में सहायक होंगी यदि छात्र बहुभाषा ज्ञान रखता है तब उसके लिए कई रोजगार के अवसर बढ़ जाते हैं , ना केवल देश में बल्कि विदेश में भी बहुभाषा जानने वाले लोगों की मांग हर दिन बढती जा रही हैं। जिन छात्रों ने पूर्व में विश्वविद्यालय से ये कोर्स किए हैं उन्होंने बहुभाषा को सीखने के फायदे बताते हुए अपने जीवन में आये परिवर्तन की भी चर्चा की और छात्र एवं छात्राओं से अपना अनुभव साँझा कियाl जर्मन भाषा के विशेषज्ञ डॉ० रजनीश गुप्ता ने अपने वक्तव्य में जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश जैसी विदेशी भाषाओं को सीखने के फायदे एवं अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होने के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि भाषा संस्कृति की वाहक होती है जब हम दूसरी भाषा को पढ़ते एवं जानते है तब हम दूसरे देश की संस्कृति को भी बहुत करीब से जानने लगते हैं इस तरह विदेशी भाषोंओं के माध्यम से हम दूसरे देशों की संस्कृति और कार्यप्रणाली के बारे में भी जान पाते हैं, जो हमे उन देशों में जाकर काम करने में सहायता प्रदान करती है, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर शोभना सिंह ने छात्रों को विस्तार पूर्वक बढती हुई तकनीकी और तकनीकी से जुड़े ज्ञान के बारे में बताते हुए छात्रों को समझाया की आज भारत में सभी देश निवेश कर रहे हैं मल्टीनेशनल कंपनी की संख्या बढती जा रही है एसी कम्पनियों को तकनिकी ज्ञान रखने वाले छात्र तो चाहिए ही साथ ही अपने देश की भाषा जानने वाले लोगों की अवश्यकता भी अधिक रहती है यदि उनकी देश की भाषा जानने वाले लोग भारत में मिलते हैं तो एसी कम्पनियां उन्हें प्रमुखता से काम देती हैं। प्रोफेसर एस. एस.बेदी ने अनुभव साझा किया और अपने कई किस्से सुनाए कि कही किसी विदेश यात्रा के दौरान उन्होंने बताया कि वह भाषा ही वह माध्यम जिससे वह सीखने में मदद मिलती हैं और बताया कि विश्वविद्यालय को NACC ने A++ दिया है विश्वविद्यालय कई देशों से करार हो चुके है जिनमे ताइवान, अमेरिका, ईरान, नेपाल अदि देश हैं विश्विद्यालय तेजी से प्रगति कर रहा है विवि में पढाये जाने वाले विदेशी भाषाओं के कोर्से सभी छात्रों के लिए एक सुनेहरा अवसर है l
कार्यशाला में छात्रों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, कार्यशाला को लेकर छात्रों में विशेष उत्साह देखने को मिला, बनारस हिन्दू विस्वविद्यालय से डॉ पीयूष चौबे जी ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य धनार्जन और सुखपूर्वक जीवन बिताना उसके लिए बहुत से रास्ते खुल जाते हैं।
हिन्दी विषय पर प्रकाश डालते हुए जामिया से आए प्रो के. के. कौशिक जी ने भी बताया कि हिन्दी और अंग्रेजी में जानकर होने के बाद भी अन्य भाषा का ज्ञान उनकी उत्सुकता व ज्ञान जिज्ञासा को तृप्त कर सकती है आप लोगो के पास सुअवसर हैं उसका लाभ लेने को प्रेरित किया सेण्टर को-ऑर्डिनेटर एवं विभागाध्यक्ष डॉ० अनीता त्यागी ने सभी कोर्स की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न भाषाओं में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और पीजी डिग्री पाठ्यक्रम में एडमिशन शुरू हो गये हैं। सेंटर फॉर मल्टीलींगुअल स्टडीज़ में पढ़ाई जाने वाली विदेशी भाषाओं में मैंडरिन-चाइनीस, जर्मन, स्पेनिश और फ्रेंच भाषाओं के एक साल (दो सेमेस्टर) के चार डिप्लोमा कोर्स प्रोफ़िशिएन्सी इन जर्मन, प्रोफ़िशिएन्सी इन फ्रेंच, प्रोफ़िशिएन्सी इन मण्डरिन और प्रोफ़िशिएन्सी इन स्पैनिश शुरू किए हैं। इसके साथ एक सेमेस्टर के इंगलिश भाषा के दो सर्टिफिकेट कोर्स कम्यूनिकेटिव स्किल्स, इंगलिश फॉर बिज़नेस और चार सेमेस्टर के पाली और फंक्शनल हिन्दी के दो पीजी डिग्री (MA in Functional Hindi and MA in Pali) कोर्स भी प्रारंभ किए गए हैं।
डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स में बारहवीं पास छात्र व छात्राएँ एडमिशन ले सकते हैं। MA कोर्स के लिए ग्रेजुएशन होना आवश्यक है। नीति के अनुसार अब छात्र एक साथ दो कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं
जिसका लाभ ये होगा कि छात्र एक कोर्स करने के साथ साथ किसी भी भाषा का दूसरा कोर्स करने पर कम समय में ही विदेशी भाषा में भी पारंगत हो सकते हैं। सभी कोर्स कम शुल्क के साथ प्रारंभ किए गए है तथा इच्छुक विद्यार्थी मानविकी विभाग में संपर्क कर या mjpru.ac.in पर जाकर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यशाला के अंत में डॉ अनीता त्यागी ने सभी भाषा के विशेषग्यों, अतिथियों व छात्र छात्राओं का धन्यवाद किया, मंच संचालन उत्तम मित्तल व श्रेया ने एवं टेक्निकल हेल्प में देव अभिजीत एवं कृष्ण केतन , इसके साथ ही विभाग के सभी शिक्षक व कर्मचारी उपस्थित रहे।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट