प्रोफेसर उपेंद्र कुमार ऑस्ट्रेलिया में तीसरे अंतर्राष्ट्रीय गेहूं कांग्रेस में करेंगे रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व
बरेली,19 सितम्बर। महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर उपेंद्र कुमार आगामी 21 से 28 सितंबर 2024 तक पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाली तीसरी अंतर्राष्ट्रीय गेहूं कांग्रेस में भाग लेंगे। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में दुनिया भर के अग्रणी कृषि वैज्ञानिक और शोधकर्ता भाग लेंगे, जहां गेहूं की फसल से संबंधित नवीनतम शोध और नवाचारों पर चर्चा की जाएगी।
प्रोफेसर उपेंद्र कुमार इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी महत्वपूर्ण शोध प्रस्तुति देंगे, जिसमें उन्होंने गेहूं की पोषण गुणवत्ता में सुधार के लिए किए गए अपने अद्वितीय कार्य को प्रस्तुत करेंगे। उनका शोध कार्य विशेष रूप से गेहूं के पौष्टिक गुणों को बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों पर आधारित है, जिससे भविष्य में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकेगा।
अपने शोध कार्य के बारे में प्रोफेसर उपेंद्र कुमार ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं इस महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने शोध को प्रस्तुत करूँगा। हमारा मुख्य उद्देश्य गेहूं की फसल को न केवल अधिक उत्पादक बनाना है, बल्कि उसकी पोषण गुणवत्ता में भी सुधार करना है, ताकि यह स्वस्थ और संतुलित आहार का स्रोत बन सके।”
प्रोफेसर कुमार की यह भागीदारी न केवल भारतीय कृषि विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर भारतीय शोधकर्ताओं की क्षमता और योगदान का भी प्रमाण मिलेगा। गेहूं की पोषण गुणवत्ता में सुधार करने वाले उनके कार्य से न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में लोगों को लाभ होगा, जहां गेहूं मुख्य खाद्य पदार्थ के रूप में खाया जाता है।
तीसरी अंतर्राष्ट्रीय गेहूं कांग्रेस का उद्देश्य गेहूं उत्पादन और गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों पर चर्चा करना है, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण से संबंधित चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर उपेंद्र कुमार का योगदान निश्चित रूप से उल्लेखनीय रहेगा।
इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में आमंत्रित किए जाने पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने प्रोफेसर उपेंद्र को अनुमति के साथ-साथ अपनी शुभकामनाओं भी प्रदान की।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट