Success Story :- नौकरी छोड़कर गांव आया यहां खेती कर बना करोड़पति

आजकल ज्यादातर लोगों से आपने सुना होगा कि खेती-बाड़ी ज्यादा फायदे का सौदा नहीं है I खेतों से बेहतर है कि पढ़ाई लिखाई करके इंजीनियर, डॉक्टर या फिर सरकारी नौकरी की तैयारी कर लें I लेकिन उत्तर प्रदेश के हिमांशु गंगवार है का कहना है कि सच्ची मेहनत से किसी भी कार्य को करने पर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है I

उत्तर प्रदेश के रहने वाले हिमांशु गंगवार अपने कैरियर के बारे में बताते हैं कि उन्होंने नागपुर के आरईसी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1993 में पूरी की थी I इसके बाद वो 1994-96 तक लखनऊ के सार्वजनिक उद्यमिता विभाग में 2500 रुपए की सैलरी में कार्यरत रहे I हालांकि उस समय 2500 रुपए औसतन सैलरी हुआ करती थी I नौकरी से संतुष्ट ना होने के कारण उन्होंने कुछ दिन बाद नौकरी छोड़ दी I

हिमांशु गंगवार नौकरी से संतुष्ट नहीं थे वे खुद अपना बिजनेस करना चाहते थे। इसलिए वह कुछ समय बाद वापस गांव आ गए यहां उन्होंने खुद खेती करने का सोचा। उन्होंने विदेशों में खेती की पद्धति के बारे में कुछ किताबों से जानकारी ली I लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सफलता हाथ ना लगी I लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी I कई बार असफल होने के बाद भी उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता I यहां तक कि उनकी शादी के लिए जो रिश्ते भी आते थे वो हिमांशु का व्यवसाय सुनकर वापस चले जाते थे I

सफल स्टार्ट-अप का सीक्रेट
हिमांशु बताते हैं कि 2011 में दिल्ली में आयोजित एक किसान समारोह में प्राकृतिक कृषि पद्धति के जन्मदाता सुभाष पालेकर से उनकी मुलाकात हुई I उन्होंने हिमांशु को शून्य लागत से तैयार प्राकृतिक कृषि पद्धति के बारे में बताया I

इसके बाद उन्होंने सुभाष पालेकर की बातों को ज्यों का त्यों लागू किया I इसका असर ये हुआ कि जिस खेती से उन्हें प्रतिवर्ष 60-70 हजार रुपए का लाभ होता था I उसी खेती का वार्षिक टर्नओवर लाखों में पहुंच गया I खेती से अच्छा खासा मुनाफा देखकर हिमांशु का परिवार और आसपास के किसान भी उन्हें फॉलो करने लगें I

उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर गुड़ की पैकिंग का स्टार्ट-अप भी शुरू कर दिया I jइसके साथ उन्होंने अपने नाम से एक कंपनी भी बनाई I जिसका नाम गौरव गुड रख दिया I इसके साथ ही उन्होंने गन्‍ने की एक ही फसल में मूंग और मसूर उगाना शुरू कर दिया जिसकी बदौलत उनका मुनाफा डबल हो जाता था I इस तरीके से हिंमांशु लाखों रुपए तक की आमदनी कर लेते थे I

हिमांशु की कंपनी का वार्षिक टर्नओवर करीब लाखों में है I वो अपनी इस सफलता का श्रेय खेती को ही देते हैं I उनकी सफलता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्हें प्राकृतिक कृषि शिविर में विदेशों से आए किसानों को खेती के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता है I इसके अलावा वो देश के अलग अलग राज्यों के किसानों को भी प्रशिक्षण देने जाते हैं I

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