उत्तर प्रदेश

एस आर एम एस रिद्धिमा में इंदिरा पार्थसारथी कृत नाटक तख्त का मंचन


बरेली , 07 अगस्त। एसआरएमएस रिद्धिमा में कल इंदिरा पार्थसारथी कृत व शाहिद अनवर द्वारा अनुवादित नाटक तख्त का मंचन अखिलेश नारायण के निर्देशन में किया गया। नाटक मुगल शासन के उस दौर को पेश करता है जब वर्ष 1657 में शाहजहां अपने बड़े बेटे दारा शिकोह को बादशाह बनाने का एलान करता है। शाहजहां बेटे दारा से वादा कराता है कि वह ताजमहल की तर्ज पर स्याह महल बनवाएगा। दारा पिता के स्नेह में वादा तो कर लेता है, लेकिन हर कोई स्याह महल के विरोध में होता है। शाहजहां जब बीमार पड़ने लगा तो उसके चारों बेटे दारा, शुजा, मुराद व औरंगजेब के बीच तख्त पाने की जंग शुरू हो जाती है। इसमें असली जंग दारा व औरंगजेब के बीच थी। यह जंग तख्त ही नहीं ख्वाबों व विचारों की भी थी। शाहजहां की दो बेटियों में जहांआरा दारा के साथ तो रोशनआरा औरंगजेब के साथ थी। बेटों के दांवपेच, संबंध, सत्ता संघर्ष, रंजिश व साजिश के बीच शाहजहां खुद से जंग करता नजर आता है। औरंगजेब व दारा की फौज के बीच हुई जंग में दारा की शिकस्त होती है। औरंगजेब तख्त हथिया लेता है और शाहजहां व जहांआरा को बंदी बना लेता है। औरंगजेब से बचने के लिए दारा मलिक जीवन से मदद मांगता है, लेकिन मलिक दारा को धोखा देकर उसे औरंगजेब के हवाले कर देता है। औरंगजेब इस्लाम का दुश्मन करार देते हुए दारा को मौत की सजा देता है। नाटक के अंत में औरंगजेब खुद से जंग करता नजर आता है, जहां उसे अपनी जिंदगी का कट्टरपन दिखाई देता है। वह खुद को कई लोग के कत्ल का दोषी मानता है। नाटक के अंत में औरंगजेब का वाक्य ‘क्या मैं एक मजहबी कठमुल्ला हूं या एक यतीम दर्शकों को झकझोर गया। नाटक में औरंगजेब की भूमिका इसके निर्देशक अखिलेश नरायण ने खुद निभाई। इसके साथ ही सुमित गौढ़ (दारा शिकोह), परमजीत (शाहजहाँ), जागृति संपूर्ण (रोशनआरा), हेमलता पांडे (जहांआरा), जय सिंह रावत (मलिक जीवन), प्रियंका भारती (कनीज़), मु॰ समीर कुरैशी (हबीब), नितिन (इम्तियाज़), साक्षी शर्मा (मौसिकी) ने भी अपनी भूमिकाओं में सशक्त अभिनय किया। नाटक में प्रकाश निर्देशन शैलेष कुशवाहा, मंच निर्माण आदेश नारायण और प्रस्तुति प्रबंधन महेश नारायण का रहा। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, डा.एमएस बुटोला, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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