अचानक कोई छू दे तो क्यों लगता है शॉक? जानें इस करंट के पीछे का साइंस

कभी आप अपने ऑफिस में या घर में बैठकर कुछ काम कर रहे हों और कोई अचानक से छू दे, तो करंट सा महसूस होता है. उस समय लोग यह कहकर बात को टाल देते हैं, ‘हां, कभी-कभी लगता है, ऐसा करंट.’ लेकिन इसके पीछे की वजह कम ही लोग जानते हैं. सोचने वाली बात है कि बिना बिजली के शरीर में करंट कैसे लग सकता है? लेकिन कहते हैं कि हर कारनामे के पीछे साइंस जरूर होता है. आइए विशेषज्ञों की मदद से जानते हैं कि इसके पीछे आखिर क्या साइंस है?

साइंस जानने से पहले एक फैक्ट जान लीजिए. अगर आपने ध्यान दिया होगा तो इस तरह के ज्यादातर झटके सर्दियों के मौसम में लगते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठंड के समय हवा में नमी होती है. जिससे थोड़ा सा झटका लगने पर सुई चुभने जैसा महसूस होता है. दरअसल ऐसी फीलिंग स्पार्क की वजह से होती है.

इस समस्या का समाधान जानने के लिए हम डॉक्टर अंकित गुप्ता के पास पहुंचे. वो एक न्यूरोलोजिस्ट हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसे केस लगातार आते ही रहते हैं. डॉक्टर अंकित गुप्ता के मुताबिक हमारे शरीर की नसों में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी हर समय होती रहती है. यह शरीर में काम करते रहने वाला बेसिक मैकेनिज्म है. जैसे हमारे घरों में बिजली को इधर से उधर पहुंचाने के लिए तार का इस्तेमाल होता है. लेकिन आपने देखने होगा कि कॉपर के तार के ऊपर प्लास्टिक की कोटिंग जरूर होती है. ठीक वैसे ही शरीर की नसों के ऊपर भी कोटिंग होती है. इसे मेडिकल की भाषा में म्येलिन शीथ कहते हैं. लेकिन कभी-कभी यह म्येलिन शीथ डिस्बैलेंस हो जाती हैं. अक्सर ऐसा तभी होता है जब शरीर एक ही स्थिति में लंबे समय तक ठहरा हो. ऐसे केस में शरीर के इलेक्ट्रॉन्स डिस्टर्ब हो जाते हैं और अगर कोई अचानक से छू देता है तो नसों की म्येलिन शीथ फिर तुरंत एक्टिव हो जाती है और शरीर को ऐसा महसूस होता है कि जैसे करंट लगा हो.

डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि शरीर में इस तरह के करंट के झटके अक्सर कोहनी के पास सबसे ज्यादा लगते हैं. कभी भी कोहनी किसी मेज से टकरा जाए तो एक दम से करंट का झटका लगता है. कोहनी के पास ही सबसे ज्यादा इसलिए ये करंट महसूस होता है क्योंकि कोहनी के पास अलनर नर्व (ULNAR Nerve) होती है. ये नर्व हमारी रीढ़ यानी स्पाइन से निकलती है और कंधों से होती हुई सीधे उंगलियों तक पहुंचती है. कोहनी की हड्डी को कवर करने वाली इस नस से जैसे ही कुछ टकराता है तो इंसान को तुरंत ही एक झटका महसूस होता है. यह अल्नर नर्व टच होने की वजह से ही फील होता है. अल्नर नर्व टच करते ही शरीर में मौजूद न्यूट्रॉन्स हमारे दिमाग तक सिग्नल पहुंचाते हैं और तुरंत एक करंट का झटका महसूस होता है.

मेरठ के LLRM मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉक्टर अंकित गुप्ता ने बताया कि यह करंट का झटका महसूस होना हर इंसान की अपनी सेंसेटिविटी पर डिपेंड करता है. उदाहरण के साथ समझें तो किसी- किसी व्यक्ति के दांतों में झनझनाहट ज्यादा होती है. वे ठंडा-गर्म ज्यादा महसूस करते हैं. जबकि कुछ लोगों को इतना फर्क नहीं पड़ता. तो यह व्यक्ति की अपनी सेंसेटिविटी पर डिपेंड करता है.

एक और फैक्ट यह भी है कि अक्सर ऐसे झटके तब महसूस होते हैं जब हम प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठे हों. दरअसल जब हम प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठकर हिलते हैं और पैर जमीन को ना छू रहे हों तो प्लास्टिक की कुर्सी हमारे कपड़ों से अलग होने वाले इलेक्ट्रॉन को जमा करने लगती है. इससे पॉजिटिव चार्ज जमा होने लगता है. जब तक आप कुर्सी पर बैठे रहते हैं ये चार्ज आपके साथ रहता है, लेकिन जैसे ही आप कुर्सी से उठते हैं तभी तुरंत ये सारा चार्ज कुर्सी के पास चला जाता है. ऐसे में अगर आप कुर्सी को छू देते हैं या फिर बैठ जाएं तो तुरंत ही हल्का सा करंट लगता है.

वैसे तो यह एक शरीर के मैकेनिज्म की एक साधारण प्रक्रिया है. आमतौर पर डॉक्टर इसके लिए शरीर में विटामिन B12, B6 और B1की कमी होने जैसे कारण मानते हैं. लेकिन अगर किसी व्यक्ति को एक ही दिन में ऐसे करंट के झटके कई बार लगते हैं तो उन्हें निश्चित तौर पर डॉक्टर से सलाह लेनी ही चाहिए. डॉक्टर गुप्ता ने यह भी बताया कि अक्सर इस तरह का करंट तभी ज्यादा महसूस होता है जब व्यक्ति किसी धातु को छू ले. जैसे कोई चाभी, कोई इलेक्ट्रिकल आइटम आदि.

जैसा कि आपको पहले बताया कि यह करंट सर्दियों के मौसम में ज्यादा महसूस होता है. तो इससे बचने के लिए समय-समय पर अपने पैर जमीन से टच कराते रहें, ताकि शरीर में जमा इलेक्ट्रॉन चार्ज जमीन में चला जाए. ऐसे में बॉडी चार्ज नहीं होगी, तो आपको करंट का झटका भी महसूस नहीं होगा. अगर पैरों में जूते पहन रखे हों तो कोशिश करें कि थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी कोहनी या हाथों को दीवार से टच करते रहें. इससे भी आपको किसी सामान या इंसान से करंट लगने की संभावना कम हो सकती है.

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