अपनों की मौत के बाद लाश को भूनकर खा जाती है ये जनजाति, दुश्मन के अंगो से सजाती है घर ओर…

वाशिंगटन . साउथ अमेरिका के ब्राजील और वेनेजुएला में यानोमामी जनजाति पाई जाती है. इन्हें यनम या सीनेमा के नाम से भी बुलाते हैं. यह जनजाति आजकल के आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होते, बल्कि यह अपनी संस्कृति व परंपराओं का अनुपालन करते हैं.इस जनजाति में अंतिम संस्कार करने का तरीका बड़ा ही अजीबोगरीब है. एंडो-केनिबलवाद कहे जाने वाली इस परंपरा के अंतर्गत यह जनजाति अपनी ही जनजाति के मृतकों के मांस खाने की अनोखी प्रथा हैं.

अमेजन वर्षावन में रहने वाले यानोमामी जनजाति का मानना है कि मौत के बाद शरीर के आत्मा को संरक्षित रखने की जरूरत होती है. उनका मानना है कि आत्मा को तभी शांति मिल सकती है, जब उसकी लाश पूरी तरह से जल जाए और उनके लाश को जीवित रिश्तेदारों द्वारा खाया जाए. मृतकों के पारंपरिक दफन प्रक्रिया के उलट, यह जनजाति शव को जलाते हैं और जले हुए शरीर पर मुस्कान के साथ उनके चेहरे को पेंट कर देते हैं. इतना ही नहीं, ये गाना गाते हैं और रिश्तेदार की मौत पर रोते हुए अपने दुख को प्रकट करते हैं. फिर जली हुई मांस को बड़े प्रेम से खाते हैं.

वहीं, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में स्थित न्यू गिनी में अस्मत जनजाति पाई जाती है. इन जनजाति के लोग दुश्मन को मारकर उसके मांस को पकाते हैं और खा जाते हैं. इसके अलावा मृतक की हड्डियों को गहनों की तरह इस्तेमाल करते हैं और उनके सिर को तकिए की जगह लगाते हैं.सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कभी-कभी खोपड़ी तोड़कर बर्तन बना लेते हैं और उसको खाना खाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. जनजाति के लोग ऐसा इसलिए करते है, क्योंकि अपनी वीरता और आदिवासियों के प्रति वफादारी का प्रदर्शन कर सकें. जनजाति के लोग दुश्मन के सिर को तंदूर में भूनकर खा जाते हैं.

मृतक दुश्मन की हड्डियों को भविष्य के अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता है. ये जनजाति उत्सव के समय दुश्मन के सिर को बच्चों के पैर के बीच में रख देते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि दुश्मन की शक्ति बच्चे में आ जाती है. वह दुश्मन की रीढ़ की हड्डी और निचले भाग को अपने साथ ट्रॉफी की तरह रखते हैं. दुश्मन के निचले जबड़े को घर में रखना शौर्य की निशानी मानते हैं.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अस्मत जनजाति में किसी की मौत होती है, तो उसके शव के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है. मरने वाले शख्स का गला काट देते हैं और उसके मस्तिष्क व आंखें निकाल लेते हैं. वह मानते हैं कि इससे बुरी आत्माओं को रोका जा सकता है.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------
E-Paper