इस मंदिर में दर्शन करने से होती हर मनोकामना पूरी

देवों की भूमि कहलाने वाले हिमाचल प्रदेश में पूरे साल पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। नवरात्रि में देवी मां के दर्शन करने से भक्तों के मन को तो संतुष्टि मिलती ही है, साथ ही मनोकामना भी पूरी होती है। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां के दर्शन और पूजन से विशेष फल मिलता है। इस समय मंदिर जाकर देवी मां के दर्शन करने से जीवन में सफलता मिलती है। सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मौजूद
चामुण्डा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मौजूद है। 52 शक्तिपीठों में से एक चामुण्डा देवी के मंदिर में नवरात्रि में जरूर दर्शन करें। मां के मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। आइए आपको बताते हैं इस मंदिर की खासियत के बारे में। मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में भूतनाथ भगवान आशुतोष शिव शंकर मृत्यु शव विसर्जन और विनाश का रूप लिए साक्षात चामुण्डा देवी के साथ विराजमान हैं।

चामुण्डा नंदीकेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध
चामुण्डा देवी मंदिर को चामुण्डा नंदीकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है। इसी जगह पर राक्षस चंड-मुंड देवी दुर्गा से युद्ध करने आए थे। इसके बाद काली का रूप धारण कर देवी ने उनका वध कर दिया था। मंदिर काफी बड़ा है जिसमें पहले तल पर ही मां की भव्य प्रतिमा विराजमान है। मुख्य मंदिर के पीछे एक गहरी गुफा है जिसमें भगवान शंकर का मंदिर है। इस मंदिर में एक बार में एक ही भक्त प्रवेश कर पाता है। मंदिर के प्रांगण के आसपास अलग-अलग देवी-देवताओं के अनेक छोटे-बड़े मंदिर बने हुए हैं।

सरोवर में स्नान करना वर्जित
मंदिर परिसर में ही बहुत सुंदर सरोवर है जिसमें गंगा से स्वच्छ जल आता है। इसमें स्नान करना वर्जित है। केवल पूजा-अर्चना के लिए इसका पानी इस्तेमाल किया जाता है। अंबिका की भृकुटी से उत्पन्न काली ने जब चंड-मुंड के सिर को उपहार के तौर पर भेंट किया को अंबा ने वर दिया की तुम पूरे संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध होगी। यहां पहुंचने के लिए कांगड़ा या धर्मशाला से नियमित बसें चलती हैं। यहां से आप टैक्सी किराए पर लेकर चामुंडा देवी मंदिर तक आसानी से पहुंचा सकते हैं।

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