कृषि रक्षा की नई तकनीक की जानकारी हेतु एक दिवसीय मण्डलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ सम्पन्न

 

बरेली, 17 फरवरी। आई0पी0एम0 प्रयोगशाला बिल्वा में आयोजित विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण योजना के अन्तर्गत कृषकों एवं तकनीकी अधिकारियों/ कर्मचारियों को आई0पी0एम0 तथा कृषि रक्षा की नई तकनीक की जानकारी हेतु एक दिवसीय मण्डलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कृषि वैज्ञानिक के0यी0के0, आईवीआरआई डॉ0 रंजीत सिंह ने फलों एवं सब्जियों की फसलों में लगने वाले कीट/रोगों के निदान हेतु बायोपेस्टीसाइड्स/बायोएजेन्ट का प्रयोग करना अधिक लाभकारी सिद्ध हुआ है तथा उन्होंने अपने अनुभवों के बारे में जानकारी दी।

सत्यपाल गंगवार प्रा०सहा०ग्रुप-सी, जितेन्द्र पाल गंगवार वरि०प्रा०सहा०ग्रुप-ए एवं डॉ निष्ठा रावत परि०प्रा०सहा०ग्रुप-ए के द्वारा ट्राइकोडर्मा हारजेनियम, ब्यूवेरिया बेसियाना एवं ट्राइकोग्रामा कार्ड के उत्पादन एवं प्रयोग किये जाने के संबंध में विस्तृत तकनीकी जानकारी दी गई।

कृषि रक्षा अधिकारी शाहजहांपुर संजय कुमार द्वारा बायोपेस्टीसाइड्स यथाः ट्राईकोडर्मा हारजेनियम, ब्यूवेरिया वैसियाना एवं ट्राईकोग्रामा कार्ड के प्रयोग से फसलों में होने वाले लाम एवं उनकी उपयोगिता के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए कीट/रोगों के नियंत्रण हेतु सुझाव दिये गये। साथ ही यह भी अवगत कराया गया की हॉफ फिल्ड डिमोस्ट्रेसन को अपनाना चाहिए।

उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) विश्व नाथ द्वारा बायोपेस्टीसाइड्स/बायोएजेन्ट (ट्राईकोडर्मा हारजेनियम, ब्यूवेरिया वैसियाना एवं ट्राईकोग्रामा कार्ड) पर विभाग द्वारा देय 75 प्रतिशत अनुदान एवं विभागीय अन्य योजनाओं के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए कीट/रोगों नियंत्रण हेतु सुझाव दिये गये। साथ ही भूमि परीक्षण कराना एवं आई०पी०एम० तकनीकी विधिया (गहरी जुताई यांत्रिक नियंत्रण, फसल चक्र) अपनाने हेतु कृषकों को सलाह दी।

संयुक्त कृषि निदेशक डा० राजेश कुमार द्वारा अवगत कराया गया kisan mitr up.ai ऐप पर किसान भाई अपनी किसी भी फसल से सम्बन्धित कीट/बीमारी के संबंध में जानकारी ले सकते हैं। साथ ही इको सिस्टम बदल रहा है इसलिए फसल चक अपनाने की आवश्यकता है। आज के दौर में किसान को गुणवत्ता एवं उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान रखते हुए फसलों का उत्पादन करना चाहिए। प्रत्येक इकाई पर कम खर्च अधिक उत्पादन एवं पर्यावरण प्रदूषण न होने पाए इस पर विशेष ध्यान देने के आवश्यकता है। भूमि की उर्वरा शक्ति को मजबूत बनाने हेतु सनई, ढैंचा की फसल उगा कर जैविक खेती को अपनाये।

अन्त में वरिष्ठ प्राविधिक सहायक, ग्रुप-ए आई०पी०एम० प्रयोगशालाबिल्वा जितेन्द्र पाल गंगवार द्वारा सभी को धन्यवाद के साथ प्रशिक्षण का समापन किया गया।

कार्यक्रम में बरेली मण्डल के चारों जनपदों के कृषि रक्षा अनुभाग के तकनीकी अधिकारियों/कृषि वैज्ञानिक/कर्मचारियों एवं कृषकों सहित लगभग 40 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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