खामोशी के साथ थम जाएगा दो हजार का नोट? अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर क्या होगा इसका असर

नई दिल्ली। भारत सरकार की ओर से 2016 में नोटबंदी के बाद जोरशोर से 2000 रुपये का नया नोट जारी किया गया था। सरकार ने इस नोट को जारी करने के पीछे तर्क दिया था कि इससे नोटों की छपाई जल्दी हो पाएगी और पुरानी करेंसी को नई करेंसी से आसानी से बदला जा सकेगा। इसी का परिणाम था कि मार्च 2017 तक देश में चलने वाली 89 प्रतिशत करेंसी 2000 के नोट की थी।

इस नोट को लेकर उस समय कई तरह के दावे किए जा रहे थे कि कालाधन रोकने और एक ही जगह धन जमा न हो इसके लिए सरकार ने इसमें जीपीएस चिप भी लगाया है। लेकिन समय के साथ ये साफ हो गया कि इसमें चिप नहीं है और ये भी एक सामान्य बैंक नोट की तरह है।

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने के एलान कर दिया है।
केंद्रीय बैंक द्वारा बताया गया है कि पब्लिक 23 मई से 30 सितंबर तक अपने पास मौजूद 2000 रुपये के नोटों को बैंक जाकर बदल सकती है।

कुल करेंसी में कितने हैं 2000 के नोट?
31 मार्च,2017 तक देश की कुल करेंसी के सर्कुलेशन का 89 प्रतिशत 2000 के नोट के रूप में था।
31 मार्च, 2018 तक देश में 6.73 लाख करोड़ रुपये के दो हजार के नोट चलन में थे, जो कि इसका सबसे उच्चतम स्तर था।
31 मार्च, 2023 तक देश में 3.62 लाख करोड़ रुपये के नोट ही चलन में थे, जो देश की कुल करेंसी का 10.8 प्रतिशत था।

जानकारों का मनाना है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ खास असर नहीं होगा, क्योंकि लोग पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में डिजिटल पेमेंट का उपयोग करने लगे हैं। वहीं, कुछ इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मान रहे हैं क्योंकि 2,000 के नोट का इस्तेमाल कालाधन छुपाने के लिए किया जाता था। इसे बंद करने से अधिक पैसा बाजार में आएगा और शेयर बाजार को भी इसका फायदा हो सकता है।

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