बड़ी मुसीबत में हूं.. रिश्तेदार-दोस्त फोन करें तो बिना वेरिफाई न दें पैसा, जालसाजों ने ठगी का निकाला नया तरीका

Cyber Thug: साइबर जालसाज लोगों को ठगने के लिए आए दिन कोई न कोई नया हथकंडा अपना रहे हैं। अब ठगों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से आवाज बदलकर लोगों को ठग रहे हैं। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर देश के विभिन्न इलाकों में ऐसी दर्जनों शिकायतें सामने आई हैं। जिसे ठगना है, साइबर जालसाज उसका रिश्तेदार, दोस्त या जानकार बनने के लिए एआई टूल्स की मदद से उस शख्स की आवाज क्लोनिंग कर रहे हैं और फिर उन्हें फोन करते हैं।

बदली गई आवाज से फोन करके बताते हैं कि वे बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं जैसे दुर्घटना का शिकार, या उनका पर्स चोरी होना। ऐसा कारण सुनकर लोग उनके झांसे में आ जाते हैं और ऑनलाइन रकम भेज देते हैं। कुछ आरोपी तो पीड़ित के परिवार का सदस्य बनकर उनके कार्ड की डिटेल पूछकर भी चूना लगा रहे हैं।

एआई की मदद से आवाज की नकल करने के लिए आरोपी सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए किसी शख्स के ऑडियो की वॉयस सैंपलिंग करते हैं। फिर ऑनलाइन वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद से आवाज की कॉपी कर लेते हैं। इसके बाद कॉल कर वो आवाज सुनाते हैं, जिससे झांसे में आकर पीड़ित ठगी का शिकार हो जाते हैं। बीते कई दिनों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। साइबर थाना पुलिस भी इसको लेकर गंभीर है और इन पर नकेल कसने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

ठगी का शिकार होते ही तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें। इसके अलावा राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime. gov.in बनाया गया है। इस पर लोग साइबर अपराध की शिकायतों को 24 घंटे और सातों दिन दर्ज करवा सकते हैं। किसी भी नए ऐप पर अपनी जानकारी साझा करने से पहले उसकी विश्वसनीयता की अच्छी तरह से जांच कर लें। इसके अलावा यदि दोस्त या सगे-संबंधी के नाम पर आए कॉल पर आप रुपये ट्रांसफर कर रहे हैं तो एक बार उन्हें फोन करके जरूर कंफर्म कर लें कि क्या यह कॉल उसी की है या फिर किसी जालसाज ने की है।

हिन्दुस्तान से साभार

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