ब्राजील हिंसा पर क्यों चिंतित हुए पीएम नरेंद्र मोदी, जानें लोगों ने सुप्रीम कोर्ट पर क्यों बोला धावा?

नई दिल्ली. लगभग दो साल पहले जो घटना अमेरिकी कैपिटल हिल में हुई थी, उसी तरह की घटना अब ब्राजीलियन सुप्रीम कोर्ट और संसद में देखी गई है। पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो के समर्थकों ने अपने विरोधी राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा के शपथ के हफ्ते भर बाद, रविवार को राजधानी में कांग्रेस (संसद), सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया। इस घटना को लेकर जहां ब्राजील में बोलसोनारो पर लोकतंत्र को ध्वस्त करने के आरोप लग रहे हैं, वहीं पूर्व राष्ट्रपति ने इस पूरे उपद्रव से खुद को अलग करते हुए समर्थकों की इस हरकत की निंदा की है।

ब्राजील हिंसा को लेकर प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वैश्विक नेताओं ने बयान जारी किया है और घटनाक्रम को लेकर चिंता जताई है। आखिर ब्राजील हिंसा क्या है और आरोप किस पर है? ब्राजील में हिंसा के पीछे का कारण क्या है? हिंसा की शुरुआत कब हुई? ब्राजीलियन सरकार ताजा हिंसा से निपटने के लिए क्या कर रही है? हिंसा को लेकर वैश्विक नेताओं ने क्या कहा?

रविवार को लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के विरोध में प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ते हुए कांग्रेस (संसद भवन), राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट में घुस गए। इन प्रदर्शनकारियों ने हरे और पीले झंडे के कपड़े पहने थे। इनमें से एक समूह के लोग सदन अध्यक्ष की कुर्सी पर चढ़ गए और वहां उसके आसपास जमा हो गए। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारी स्पीकर के डायस पर चढ़कर माइक से छेड़छाड़ कर रहे हैं। एक वीडियो में बाहर भीड़ को एक पुलिसकर्मी को उसके घोड़े से खींचकर जमीन पर गिराते हुए दिखाया गया है।

प्रदर्शनकारियों से जुड़े कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें उपद्रवियों को कांग्रेस भवन में प्रवेश करने के साथ दरवाजे और खिड़कियां तोड़ते हुए दिखाया जा रहा। वीडियों में दिख रहा है वह एक साथ अंदर आते हैं और सांसदों के कार्यालयों को तोड़ते हैं। साथ ही उन्होंने एक बैनर को फहराने की कोशिश की।

इस घटना को लेकर ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो पर लोकतंत्र को ध्वस्त करने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि, बोलसोनारो ने इस पूरे उपद्रव से खुद को अलग करते हुए समर्थकों की इस हरकत की निंदा की है। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को भी निराधार करार दिया है।

बोलसोनारो ने सरकारी इमारतों पर हमले के लिए समर्थकों को भड़काने के ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा के आरोपों को भी खारिज कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति ने ट्वीट में लिखा, “मैं अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करता हूं, जो कि ब्राजील के मौजूदा प्रमुख ने मेरे ऊपर बिना किसी सबूत के लगा दिए हैं।”

ब्राजील में ताजा हिंसा का कारण पिछले साल अक्तूबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव हैं। दरअसल, ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने 30 अक्तूबर घोषित चुनाव नतीजों में निवर्तमान जेयर बोलसोनारो को हरा दिया। इसके साथ ही वामपंथी नेता ने दशकों से देश की सत्ता में काबिज दक्षिणपंथी सरकार को उखाड़ फेका। यह परिणाम बोलसोनारो समर्थकों के लिए अप्रत्याशित था।

इस चुनाव में लूला को बोलसोनारो के 49.2% की तुलना में 50.8% वोट मिले थे। सुप्रीम इलेक्टोरल कोर्ट ने लूला के जीत की औपचारिक घोषणा की। हालांकि, बोलसोनारो के समर्थकों को यह हार नहीं पची और उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। इसी विरोध के परिणाम स्वरूप प्रदर्शनकारी रविवार को और भी हिंसक हो गए और सरकारी इमारतों में घुसकर खूब उत्पात मचाया।

ब्राजील राष्ट्रपति चुनाव में जेयर बोलसोनारो की हार के बाद उनके समर्थकों ने चुनाव जीतने वाले लेफ्ट नेता लूला का विरोध शुरू कर दिया। हालांकि, छुटपुट हिंसा की शुरुआत तो चुनाव से पहले ही हो गई थी। यही कारण है कि देश में चुनाव से पहले जुलाई अगस्त में सुरक्षा को बढ़ाया गया था। जुलाई में, ब्राजील की संघीय पुलिस ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए सुरक्षा दी थी जो आमतौर पर अगस्त के मध्य में चुनावी दौर के आधिकारिक शुरुआत से पहले नहीं किए जाते थे। यह कदम दक्षिणी शहर फोज डू इगुआकू में “लूला” समर्थक की जन्मदिन की पार्टी में एक स्थानीय अधिकारी की हत्या के बाद उठाया गया था। तब से, राजनीतिक समर्थकों के बीच हमले बढ़ते ही गए, मारपीट, छुरा घोंपने और यहां तक कि हत्याओं की कई खबरें आईं। सितंबर में एक 39 वर्षीय व्यक्ति को लूला के समर्थन की घोषणा करने के बाद पूर्वोत्तर राज्य सिएरा में एक बार में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। इन्ही घटनाओं को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था। 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने ब्राजील में अधिकारियों, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि आगामी आम चुनाव शांतिपूर्ण हों और चुनाव संबंधी हिंसा को रोका जाए।

दो अक्टूबर को यहां चुनाव हुए और 28 अक्टूबर को परिणाम आए। हालांकि, चुनाव बाद भी यहां हिंसा नहीं रुकी नवंबर और दिसंबर के महीनों में राजधानी ब्राजीलिया समेत देश के कई हिस्सों में घटनाएं सामने आईं। एक सर्वे के मुताबिक अक्टूबर से नवंबर के बीच यहां 103 हिंसक घटनाएं हुईं जिनमें राजनीतिक प्रतिनिधि या उनके परिजनों के शामिल होने का आरोप था।

हिंसा की एक झलक में राजधानी ब्रासीलिया में दिसंबर के मध्य में भी देखी गई थी जब बोलसोनारो समर्थकों ने संघीय पुलिस मुख्यालय पर हमला करने का प्रयास किया था। हिंसा का सिलसिला नए साल में भी नहीं रुका और रविवार को एक बार फिर सरकारी भवनों में उत्पात की भयानक तस्वीरें सामने आईं।

ताजा हिंसा को देखते हुए कानून परवर्तन एजेंसियां भी एक्शन में आ गईं हैं। प्रदर्शनकारियों को शांत कराने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और संसद भवन के आसपास के क्षेत्र को खाली कराया इस घटना में 400 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तारी हुई है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने राजधानी सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने 31 जनवरी तक ब्रासीलिया में एक संघीय सुरक्षा लगाने की घोषणा की है।

ब्राजील की इस घटना को लेकर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि ब्रासीलिया में सरकारी संस्थानों के खिलाफ दंगे और तोड़फोड़ की खबरों से बेहद चिंतित हूं। लोकतांत्रिक परंपराओं का सभी को सम्मान करना चाहिए। हम ब्राजील के अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देते हैं।

ब्राजील की इस घटना पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ब्राजील में धुर दक्षिणपंथी पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो के समर्थकों द्वारा देश की कांग्रेस, राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट पर हमला करने के बाद स्थिति अपमानजनक थी।

पुर्तगाल के विदेश मंत्री जोआओ गोम्स क्राविन्हो ने अपने एक बयान में कहा, “निसंदेह, पूर्व राष्ट्रपति बोलसोनारो की जिम्मेदारी है। उनकी आवाज इन लोकतंत्र विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा सुनी जाती है। यह बहुत महत्वपूर्ण होगा यदि वह ब्रासीलिया में वर्तमान में हो रही अव्यवस्था के खिलाफ बयान दें।

 

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