रूस के सामने मुट्ठीभर सेना होने के बावजूद यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की नहीं चाहते सीजफायर!

कीव: रूस और यूक्रेन के युद्ध को पांच माह पूरे हो गए हैं। इन पांच माह में यूक्रेन को जबरदस्‍त नुकसान उठाना पड़ा है। उसके न सिर्फ इलाके उससे छिन गए हैं बल्कि उसके 20 लाखा लोगों को दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है। इतना ही नहीं उसकी हजारों हेक्‍टेयर भूमि को रूस की बमबारी ने तबाह कर दिया है। हजारों मकान तबाह हो गए हैं। सरकारी इमारतें, अस्‍पताल, स्‍कूल, रिहायशी इमारतें भी खंडहर में तब्‍दील हो चुकी हैं। रूस लगातार अपने हमलों का क्षेत्र बढ़ा रहा है। इसके बावजूद यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्‍की ने रूस से सीजफायर करने को लेकर साफ मना कर दिया है।

सीजफायर न करने की पहली वजह
राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की का कहना है कि जब तक वो उन इलाकों को जिनपर रूस ने कब्‍जा कर लिया है वापस नहीं ले लेते हैं तब तक सीजफायर के बारे में सोचेंगे भी नहीं। उनके इस बयान से एक बात बेहद स्‍पष्‍ट हो गई है कि ये युद्ध जल्‍दी खत्‍म होने वाला नहीं है। इस बात की आशंका काफी समय से जानकार भी जता रहे हैं। रायटर के मुताबिक उन्‍होंने ये बात एक अमेरिकी अखबार को दिए इंटरव्‍यू में कही है।

यूक्रेन के सीजफायर न करने की दूसरी वजह
उनका कहना है कि यदि वो सीजफायर के लिए राजी हो जाते हैं तो ये उनके हारे हुए इलाकों पर रूस का कब्‍जा मान लेना जैसा ही होगा। इससे रूस को और अधिक बल मिल जाएगा और ये इस विवाद को और अधिक बढ़ा देगा। इससे मास्‍को को उन पर हमला करने का एक और राउंड भी मिल जाएगा।

सीजफायर न करने की तीसरी वजह
जेलेंस्‍की ने इस दौरान ये भी कहा कि सीजफायर करने का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान ये भी होगा कि इससे रूस को आराम का मौका मिल जाएगा जो कि यूक्रेन कभी नहीं चाहेगा। इस वक्‍त सीजफायर करने का नुकसान यूक्रेन को अधिक होगा। ये रिस्‍क नहीं लिया जा सकता है।

सीजफायर को लेकर जेलेंस्‍की की शर्त
उन्‍होंने इस इंटरव्‍यू में यहां तक कहा कि सीजफायर करने से पहले रूस को हमारे छीने हुए इलाकों को हमें वापस करना होगा। इसके बाद बातचीत में ये तय करना होगा कि हम दोनों आगे कैसे रह सकते हैं।

यूक्रेन को चाहिए एयर डिफेंस सिस्‍टम
जेंलेंस्‍की ने कहा कि उन्‍हें भविष्‍य के लिए एयर डिफेंस सिस्‍टम की जरूरत है, जो फ्रंट लाइन से सैकड़ों किमी दूर से दागी गई मिसाइल से भी हमारी रक्षा कर सके। रूस और यूक्रेन के बीच शुक्रवार को अनाज निर्यात खोलने को लेकर हुए समझौते पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि मास्‍को को राजनयिक रियायतें बाजार को फौरी तौर पर ही राहत दे सकती हैं। लेकिन ये भविष्‍य में राहत नहीं दे सकेंगी।

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