कनाडा और चीन ने एक दूसरे के राजनयिकों को देश से बाहर क्यों निकाला, इस तल्खी की वजह क्या?

नई दिल्ली. कनाडा और चीन के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। कनाडा ने चीनी राजनयिक को देश से बाहर निकालने का एलान किया तो चीनी सरकार ने भी जवाबी कार्रवाई कर दी। चीन ने शंघाई स्थित वाणिज्य दूतावास में तैनात कॉन्स्युल जनरल को 13 मई तक देश छोड़ने का निर्देश दे दिया है। इस बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर दोनों देशों के बीच विवाद किस बात का है? दोनों देशों में तनातनी क्यों चल रही है? इस पूरे मसले पर चीन और कनाडा ने क्या कहा? आइए जानते हैं…

कनाडा सरकार को उनके खुफिया विभाग ने एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें दावा किया गया है कि कनाडा में स्थित चीनी राजनयिक देश के आंतरिक मामलों में दखल दे रहे हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप के जरिए कनाडा सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।

इसके अलावा कनाडाई सांसद को निशाना बनाने की कोशिश करने का भी आरोप लगा है। इस रिपोर्ट के बाद कनाडा सरकार ने चीनी राजनयिक झाओ वेई को देश से निष्कासित कर दिया है। वहीं, जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने भी शंघाई स्थित वाणिज्य दूतावास में तैनात कॉन्स्युल जनरल को 13 मई तक देश छोड़ने का निर्देश दे दिया है।

दरअसल, इस महीने की शुरुआत में ग्लोब एंड मेल अखबार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें खुलासा किया गया था कि कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा ने जांच में पाया है कि चीनी राजनयिक ने उइगर अल्पसंख्यकों के दमन की आलोचना के बाद कनाडा के विपक्षी नेता माइकल चोंग और चीन में उनके रिश्तेदारों को निशाना बनाया था।

खुफिया सेवा के मुताबिक, चीन ने 2019 और 2021 में कनाडा के संघीय चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की थी। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद से माइकल चोंग बार-बार झाओ के निष्कासन की मांग कर रहे थे।

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उनकी सरकार ने टोरंटो स्थित चीनी राजनयिक झाओ वेई को देश छोड़ने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, ‘हम अपने आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार के विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे। कनाडा में राजनयिकों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे इस तरह का व्यवहार करते हैं तो उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।’ जॉली ने कहा कि चीनी राजनयिक के हस्तक्षेप के चलते देश में हंगामा हो रहा है। इसलिए सख्त कदम उठाने की जरूरत थी।

कनाडा सरकार की कार्रवाई पर चीन ने भी प्रतिक्रिया दी है। चीनी सरकार ने कनाडा के आरोपों को खारिज कर दिया। चीन का कहना है कि उसे दूसरे देशों के आंतरिक मसलों में हस्तक्षेप करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। सोमवार को ओटावा में चीनी दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी कर झाओ वेई के निष्कासन आदेश की निंदा की।

चीन ने दोहराया कि बीजिंग ने कनाडा के घरेलू मामलों में कभी भी हस्तक्षेप नहीं किया है। चीनी दूतावास ने कहा कि बीजिंग कभी भी दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता है।

चीनी दूतावास ने कहा कि कनाडा में बीजिंग के राजनयिक और काउंसलर कर्मियों ने प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन किया है। कनाडाई सरकार जानबूझकर चीन विरोधी ताकतों को बढ़ावा देती है और चीनी वाणिज्य दूतावास अधिकारियों के खिलाफ कदम उठाती है। इसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। चीनी दूतावास ने कनाडाई पक्ष से गलत कार्यों को रोकने और गलत रास्ते पर आगे नहीं जाने का आग्रह किया।

ऐसा नहीं है कि चीन और कनाडा के रिश्ते अचानक बिगड़ने शुरू हुए हैं। कई दशक से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब चल रहे हैं। पिछले साल कनाडा के प्रधानमंत्री ने भी चीन की दखलअंदाजी को लेकर बड़ा दावा किया था। उन्होंने कहा था कि चीन अपने उम्मीदवारों को कनाडा का चुनाव लड़वा रहा है।

यही नहीं कनाडा और नीदरलैंड्स ने अपने यहां चल रहे चीनी पुलिस स्टेशनों की जांच शुरू की है। रिपोर्ट्स हैं कि चीन इन देशों में चुपके से अपना पुलिस थाना चला रहा है। उसकी अपनी पुलिस है, जो चीनी मूल के नागरिकों पर पूरा जोर आजमाती है। चीनी पुलिस विदेशी जमीन पर बाकायदा ऑपरेशंस भी चलाती है।

 

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