सोनभद्र में पर्यटन को बढ़ावा की दृष्टि से संपन्न हुई महत्वपूर्ण “तीर्थायन” यात्रा

सोनभद्र, जनपद में पर्यटन के बढ़ावा की दृष्टि से काशी से गुप्तकाशी तीर्थायन यात्रा का शुभारंभ रविवार को शिवद्वार में स्थित उमामाहेश्वर के दर्शन से प्रारंभ किया गया. इस यात्रा में विभिन्न जनपदों से आए कुल 101 पर्यटकों व श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग किया. यह यात्रा उमामाहेश्वर शिवद्वार धाम दर्शन पश्चात गौरीशंकर धाम फिर गिरजाशंकर धाम से होते हुए पंचमुखी महादेव पहुंची जहां स्थानीय लोगों के साथ सहभोज कर प्रसाद ग्रहण किया इसके बाद यात्रा अपने अंतिम पड़ाव परम पूज्य कण्व ऋषि के आश्रम अर्थात मां शकुंतला ने जहां भरत नामक पुत्र को जन्म दिया ऐसे कंडाकोट तीर्थ धाम पहुंची।
जहां यात्रा को संबोधित करते हुए *प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा व प्रोफेसर सिद्धनाथ उपाध्याय ने कहा कि सोनभद्र में पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं हैं सोनभद्र भारत का हृदय है यह आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक धरोहरों का केंद्र है. हम सब आज सोनभद्र आने के पश्चात यह कह सकते हैं कि जिसने सोनभद्र नहीं देखा उसने भारत नहीं देखा।
प्रोफेसर विजय नाथ मिश्रा व डॉ अवधेश दीक्षित तीर्थायन संयोजक ने कहा कि काशी की कल्पना तब तक अधूरी रह जाती है जब तक की परम पूज्य शंकराचार्य के उन शब्दों का मिलन नहीं हो जाता जिसमें उन्होंने कहा था कि यह गुप्तकाशी है इसलिए आज यह काशी से गुप्तकाशी की यात्रा का शुभारंभ किया गया है यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस यात्रा के माध्यम से हम संपूर्ण भारत को यह संदेश देना चाहते हैं कि आप सोनभद्र आये यहां के सुंदरता से भरी इस धरा को निहारते हुए अपने दिल और दिमाग में बसाए।
यात्रा संयोजक पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि यह यात्रा पर्यटन की दृष्टि से अत्य अधिक महत्वपूर्ण है इस यात्रा में आए हुए सभी सहभागियों का स्वागत एवं अभिनंदन है यह सोन वसुंधरा है जहां हर प्रकार के प्राकृतिक रूपों का समुच्चय है यहां सोन के परिक्षेत्र में रेगिस्तान जैसा वातावरण है तो उत्तराखंड की ऊंची ऊंची पहाड़ियों जैसे भी वातावरण स्थित है वहीं दूसरी तरफ कृषि भूमि में लहराती फसलें भी अपने तरफ मनमोहन से बाज नहीं आती इसलिए आइए हम सब इस यात्रा से जुड़े और अपने इस मातृ धरा के लिए कुछ करें।
काशी से गुप्तकाशी यात्रा के समन्वयक द्वय पंडित दयाशंकर पांडे व श्रीकांत दुबे ने कहा की गुप्तकाशी के अंत में धर्म, दर्शन, संस्कृति और जनजीवन के अनूठे रहस्य छिपे हुए हैं। इन रहस्यों का उद्घाटन उनके नजदीक पहुंच कर ही किया जा सकता है। तीर्थ स्थलों , देव मंदिरों तथा सनातन संस्कृति की अप्रतिम धरोहरों को जानने के लिए इस यात्रा से जुड़ें।
संपूर्ण यात्रा सफल संचालन गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष रवि प्रकाश चौबे व राम प्रवेश चौबे, कमलेश चौबे, प्रकाश त्रिपाठी, अरुणेश चंद्र पांडे, सर्वेश त्रिपाठी, धनंजय तिवारी , राजू पांडे डीसीपीसी, राजेश अग्रहरि, अजय गिरी प्रधान पुजारी शिवद्वार मंदिर, लक्ष्मण दुबे प्रधान पुजारी पंचमुखी महादेव मंदिर ने किया।
यात्रा में प्रोफेसर एस एन उपाध्याय पूर्व निदेशक आई आई टी बीएचयू, पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी यात्रा संयोजक,
प्रोफेसर पी के मिश्रा पूर्व कुलपति अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ,प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र पूर्व चिकित्सा अधीक्षक काशी हिंदू विश्वविद्यालय/ विभागाध्यक्ष न्यूरोलॉजी आई एम एस बी एच यू ,प्रोफेसर चंदना रथ बी एच यू ,डॉक्टर अनिल गुप्ता चिकित्सा प्रभारी आयुर्वेद हॉस्पिटल भेलूपुर, प्रभास कुमार झा प्रधानाचार्य पी एन जी आई सी रामनगर,डॉ रजनीकांत त्रिपाठी बी एच यू , गोपेश पांडेय प्रवक्ता बी एच यू ,
राधाकृष्णन जी प्रख्यात फोटोग्राफर BHU, अरुण सिंह जी वास्तुविद BHU, संजय शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता, वाचस्पति उपाध्याय, शैलेश तिवारी, देवेंद्र दास व ताना-बाना समूह कबीर मठ, अभय तिवारी कुबेर, अभिषेक, यादव समेत कुल 101 लोग उपस्थित रहे।

रवीन्द्र केसरी सोनभद्र

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