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जाने क्यों गोपनीय रखा जाता है किसी किन्नर के अंतिम संस्कार को!

 


किन्नरों की दुनिया आम आदमी से हर मायने में अलग होती है। किन्नरों को हमारे समाज में तीसरे लिंग यानी ‘थर्ड जेंडर’ का दर्जा प्राप्त है। इनकी जिंदगी हमारी तरह सामान्य नहीं होती। इनके जीवन जीने के तरीके, रहन-सहन सब कुछ अलग-अलग होते हैं इसलिए इनके बारे में काफी कम जानकारी ही आम लोगों को मिल पाई है। इनकी दुनिया जितनी ही अलग होती है उतना ही इनके रीति-रिवाज़ और संस्कार भी उतने ही अलग होते है। शायद आप इनकी रहस्यमयी दुनिया के बारे में जानते भी न हों, इसलिए आज हम आपको इनकी दुनिया से रूबरू कराएंगे जहां बहुत से रिवाज है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब किसी किन्नर की मौत हो जाती है, तब उसकी डेड बॉडी के साथ क्या किया जाता है? उसका अंतिम संस्कार कैसे किया जाता हैं?

किन्नरों के अंतिम संस्कार को गोपनीय रखा जाता है। बाकी धर्मों से ठीक उलट किन्नरों की अंतिम यात्रा दिन की जगह रात में निकाली जाती है। किन्नरों के अंतिम संस्कार को गैर-किन्नरों से छिपाकर किया जाता है। इनकी मान्यता के अनुसार अगर किसी किन्नर के अंतिम संस्कार को आम इंसान देख ले, तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा।

वैसे तो किन्नर हिन्दू धर्म की कई रीति-रिवाजों को मानते हैं, लेकिन इनकी डेड बॉडी को जलाया नहीं जाता। इनकी बॉडी को दफनाया जाता है। अंतिम संस्कार से पहले बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है। कहा जाता है इससे उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है। अपने समुदाय में किसी की मौत होने के बाद किन्नर अगले एक हफ्ते तक खाना नहीं खाते। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि किन्नर समाज में किसी की मौत होने पर ये लोग बिल्कुल भी मातम नहीं मनाते, क्योंकि इनका रिवाज है कि मरने से उसे इस नर्क वाले जीवन से छुटकारा मिल गया। इसलिए ये लोग चाहे जितने भी दुखी हों, किसी अपने के चले जाने से मौत पर खुशियां ही मनाते हैं। ये लोग इस खुशी में पैसे भी दान में देते हैं। और अपने अराध्य देव अरावन से यह दुआ मांगते हैं कि अगले जन्म में मरने वाले को किन्नर ना बनाएं।

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