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उ.प्र. रेरा आवंटियों को नियम-24 के अन्तर्गत शीघ्र कब्जा दिलाएगा

लखनऊ / गौतमबुद्धनगरः श्री संजय भूसरेड्डी, अध्यक्ष, उ.प्र. रेरा द्वारा आवंटियों की शिकायतों पर पारित आदेशों के अनुपालन की समीक्षा के दौरान यह देखा गया कि प्रोमोटर्स द्वारा आवंटियों की यूनिट का कब्जा प्रदान करने में हीला-हवाली की जा रही है जबकि प्रोमोटर को यह आदेश दिए गए थे कि एक निर्दिष्ट अवधि में आवंटी को उसकी इकाई का कब्जा दे दें। रेरा के आदेश के बावजूद बहुत से मामलों में शिकायतकर्ता अब भी कब्जे की प्रतीक्षा कर रहे हैं और प्रोमोटर्स द्वारा रेरा तथा आवंटी के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। मा. अध्यक्ष द्वारा इस स्थिति पर पूर्ण विराम लगाने का संकल्प लिया गया और कब्जा सम्बन्धी 250 ऐसे मामलों को, जिनमें प्रोमोटर द्वारा आवंटी को कब्जा नहीं प्रदान किया गया है, अपने एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स के न्यायालयों में कार्यान्वयन हेतु, भेज दिया गया। ये एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स रेरा के लखनऊ मुख्यालय तथा एन.सी.आर. कार्यालय में नियुक्त हैं और जिला जज रह चुके हैं। अब एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स द्वारा उ.प्र. रेरा नियमावली के नियम-24 के प्राविधानों के अनुसार आवंटियों के नाम रजिस्ट्री तथा उनकी इकाई का कब्जा सुनिश्चित कराया जाएगा। नियम-24 के अन्तर्गत एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स को सी.पी.सी. (सिविल प्रोसीजर कोड) की शक्तियां प्राप्त हैं। उनके द्वारा इन शक्तियों का उपयोग करते हुए इकाई की रजिस्ट्री तथा कब्जे की कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाएगी। कब्जे की कार्यवाही पूर्ण कराने के लिए उनके द्वारा इकाई को अटैच किया जा सकेगा तथा रिसीवर भी नियुक्त किए जा सकेंगे।

उ.प्र. रेरा द्वारा माह अक्टूबर, 2022 में ही यह निर्णय लिया गया था कि रजिस्ट्री तथा कब्जा से सम्बन्धित आदेशों का कार्यान्वयन नियम-24 के अन्तर्गत एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स के न्यायालयों के माध्यम से करायी जाएगी। रेरा द्वारा अब इस कार्य में तेजी लाने का फैसला किया गया है और यह व्यवस्था बना दी गयी है कि रेरा के आदेश के बावजूद प्रोमोटर द्वारा कब्जा न प्रदान करने के मामले जानकारी में आने पर सचिव द्वारा अध्यक्ष की अनुमति से ऐसे मामलों को सम्बन्धित एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स के न्यायालयों में भेज दिया जाएगा। एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स द्वारा तत्पर्तापूर्वक प्रभावी कार्यवाही करते हुए रजिस्ट्री तथा कब्जे की कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाएगी। यह भी निर्णय लिया गया है कि जिन मामलों में एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर्स के न्यायालय के माध्यम से कब्जे की कार्यवाही पूर्ण कराने की नौबत आती है, उनमें रेरा द्वारा सम्बन्धित प्रोमोटर्स के विरूद्ध भारी अर्थदण्ड भी आरोपित किया जाएगा और जिलाधिकारी के माध्यम से अर्थदण्ड की वसूली सुनिश्चित करायी जाएगी।

श्री संजय भूसरेड्डी, अध्यक्ष, उ.प्र. रेरा द्वारा यह बात ज़ोर दे कर कही गयी कि उ.प्र. रेरा यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि प्रोमोटर्स द्वारा रेरा के आदेशों के अनुपालन में किसी तरह की मनमानी की जाए और आवंटियों को भाग-दौड के लिए मजबूर किया जाए। रेरा अधिनियम आवंटियों के हितों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है और रेरा यह सुनिश्चित करेगा कि प्रोमोटर द्वारा रेरा के आदेशों का समय से अनुपालन किया जाए। नियम और अधिनिमय सभी हितधारकों की भलाई के लिए बनाए जाते हैं और नियमों तथा विनियामक प्राधिकरण के आदेशों के अनुपालन में ही समस्त हितधारकों की भलाई है। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि रेरा स्थिति की नियमित समीक्षा करेगा और आवंटियों के हितों की सुरक्षा के लिए यथा आवश्यक प्रभावी कदम उठाता रहेगा।

 

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