आईवीआरआई में “बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास ” प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

बरेली , 17 अक्टूबर । भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर के पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग द्वारा एस.सी.एस.पी. के अन्तर्गत अनुसूचित जाति के पशुपालकों, उद्यमियों, युवाओं एवं युवतियों हेतु 05 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम “बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास” का आयोजन किया गया । इस प्रशिक्षण 41 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम के उदघाटन अवसर पर मुख्य अतिथि संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि अधिकांश बकरियां लघु, सीमान्त किसान या भूमिहीनों द्वारा मांस, दूध, त्वचा, रेशे और खाद एवं आजीविका के लिये पाली जाती है। आज के दौर में बढती आबादी, बढती आय, खाद्य वरीयताओं और खाद्य पदार्थों के प्रति जागरुकता के कारण बकरी के दूध की कीमत, एवं बकरी के मांस की मांग उपभोक्ताओं में तेजी से बढ़ रही है। बकरी के दूध और उत्पादों को उनके स्वास्थ्य, पोषण एवं औषधीय लाभों के लिए काफी पसंद किया जा रहा है और उच्च एवं आकर्षक कीमत है पर बिक्री की जा रही है। इसके अतिरिक्त बकरी पालन एवं बकरी उत्पादो से संबधित तमाम तरीके के सामाजिक एवं धार्मिक वर्जनाएँ भी नही है। इसलिये बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास में असीमित संभावनायें हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डा. हरि ओम पाण्डेय ने बताया कि बकरी के छोटे आकार के होने की वजह से प्रारंभिक लागत कम लगती है तथा चारा-दाना एवं कुल लागत भी कम कम होती है। बकरी का गर्भकाल 150 दिन एवं प्रसव अंतराल भी कम होता है तथा जुड़वा या उससे अधिक मेमनें प्रायः एक प्रसव में पाये जाते है। इन्ही कारणों से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग इन्हे आसानी से पालकर एक व्यसाय का रूप दे सकता है। और यही वजह है कि बकरी को गरीबों की गाय की संज्ञा दी गयी है।
डॉ पाण्डेय ने बताया की प्रशिक्षण में 10 महिलायें एवं 31 पुरुषों ने अपनी सहभागिता दर्ज की है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को बकरी पालन पर वैज्ञानिक प्रबन्धन, बकरी की प्रमुख नस्लेंः मुख्य लक्षण एवं विशेषतायें, बकरियों का चयन एवं उत्तम संतति हेतु प्रजनन प्रबंधन, बकरियांे की प्रमुख बीमारियां, लक्षण, निदान एवं नियन्त्रण, बकरियों के लिये आवास निर्माण एवं प्रबन्धन, विभिन्न आयुवर्ग की बकरियों के लिये आवश्यक आहार की गणना एवं प्रबन्धन, बकरियों में अन्तः एवं बाह्रय परजीवी रोग, लक्षण, निदान एवं नियन्त्रण, बकरी के दूध की विशेषतायें एवं बढता महत्व, बकरी पालन के अपशिष्टो से वर्मीकम्पोष्ट उत्पादन, एकीकृत बकरी पालन एवं उससे होने वाला लाभ एवं लघु एवं मध्यम बकरी पालन का अर्थशास्त्र पर तकनीकी एवं वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की जायगी।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. अयोन तरफदार द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा. ए.के. एस. तोमर, डा. मुकेश सिंह, डा. एच0 आर0 मीना आदि उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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