आईवीआरआई में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रणाली,मिश्रित शिक्षण मंच पर कार्यशाला का आयोजन 

बरेली ,16 सितम्बर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (आईवीआरआई) में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रणाली, मिश्रित शिक्षण मंच (एनएआरएस-बीएलपी) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन आईवीआरआई द्वारा भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईएएसआरआई) के सहयोग द्वारा किया जा रहा है।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुये  संस्थान निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुये कहा संस्थान ने आईएएसआर आई के साथ मिलकर कई आईसीटी टूल्स विकसित किये हैं। उन्होंने डा. रूपसी तिवारी को आईएसआरआई के साथ कोलेबेरेशन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि हमने आईएसआरआई के सहयोग से 45 से अधिक आईसीटी टूल्स विकसित किये हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल एप्प विकसित करने  के बाद हमने एआई चैटवोट बनाया। हमारा ही संस्थान एकमात्र ऐसा संस्थान है जिसने चैटवोट विकसित किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी और अधिक आईसीटी टूल्स विकसित किये जायेंगे। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक तथा उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) का भी आभार व्यक्त किया। डा. दत्त ने कहा कि एनएएचईपी ने वर्ल्डक्लास इफ्रांस्ट्रचर डवलप किया है। डा. त्रिवेणी दत्त ने नई शिक्षा नीति 2020  को अपनाने तथा बहुआयामी एजुकेशन तथा होलेस्टिक एप्रोच को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि संस्थान में ऑनलाइन शिक्षण तथा डिजीटल इन्फ्रास्टचर को बढ़ाना होगा।
इस अवसर पर भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के कम्पयूटर एप्लीकेशन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सुदीप मारवाह ने कहा कि मिश्रित-शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को शुरू करने का निर्णय मार्च, 2023 में नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में लिया गया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 62 विश्वविद्यालयों में अभी यह प्रणाली चल रही है जो कि पूर्णतया ऑन लाइन है। एडमिशन से लेकर पासआउट तक सभी सिस्टम ऑन लाइन है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान द्वारा एकेडमिक मेनेजमेंट सिस्टम, प्रोजेक्ट इनफामरमेशन सिस्टम, एक्रीडेशन पोर्टल, एग्रीकल्चरल यूनिवसिर्टी रेंकिग सिस्टम, कृतज्ञता पोर्टल, एजुकेशन पोर्टल, ग्रीन एण्ड क्लीन कैम्पस अवार्ड, ई लर्निंग पोर्टल, कृषि विश्वविद्यालय एल्मुनीआई नेटवर्क, मोबाइल एप्लीकेशन, ई-कृषि शिक्षा पोर्टल, ग्रिवांस रेडरेसल, कैपिसिटी बिल्डिंग पोर्टल, कृषि मेघ तथा वचुर्वल क्लामरूम  आदि बनाये हैं। ये प्रभावी ज्ञान हस्तांतरण, क्षमता निर्माण, शैक्षणिक प्रबंधन, वर्चुअल क्लास रूम की प्रगति की निगरानी और छात्रों के प्रदर्शन में पारंपरिक शिक्षण से बेहतर मददगार साबित हो रहे हैं। उन्होंने समय-समय पर ऑनलाइन और वर्चुअल क्लास रूम के महत्व, आवश्यकता और विकास के बारे में बताया।
कास्ट-एनएएचईपी परियोजना की राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. अनुराधा अग्रवाल ने मिश्रित-शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र की उपयोगिता पर जोर दिया ै और कहा कि यह विश्वविद्यालय को डिजिटल सामग्री और पाठ्यक्रमों को प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करने की अनुमति देगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का नया सीखने का मंच विश्वविद्यालयों को बेहतर रैंकिंग हासिल करने में मदद करेगा।
संयुक्त निदेशक (अकादमिक) डॉ. एसके मेंदीरत्ता ने समय की आवश्यकता के अनुसार विश्वविद्यालयों द्वारा डिजिटल पहलों को अपनाने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई ने बैंगलोर और हैदराबाद में अपने दो शैक्षणिक केन्द्रों की स्थापना की है, जिनकी प्रमुख, लघु या सहायक पाठ्यक्रमों के प्रबंधन जैसी विभिन्न गतिविधियों को मिश्रित शिक्षण प्रणाली द्वारा ध्यान में रखा जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आने वाले वर्ष में एक विकसित राष्ट्र के रूप में बनने के लिए हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को समय की मांग और आवश्यकता के अनुसार बदलना होगा।
संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डा. रूपसी तिवारी ने मुख्य अतिथि और टीम आईसीएआर-आईएएसआरआई का स्वागत किया और शिक्षकों और छात्रों की शिक्षण और सीखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए मिश्रित शिक्षण मंच के महत्व के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज की तेजी से बढ़ती दुनिया में विविधता लाने के लिए अपनी शिक्षण पद्धति में सुधार करना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा मिश्रित शिक्षा डिजीटल से छात्रों को व्यस्त और प्रेरित रखने से शिक्षक को छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से समझाने में भी मदद मिलती हैै डा. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के मंच अधिक संगठित तरीके से सीखने के विभिन्न तरीकों के नए रास्ते खोलते हैं, संकाय को नए युग की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए सशक्त बनाते हैं और कमजोर छात्रों का समर्थ करने में मदद करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डा. अखिलेश कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन कास्ट परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. अमित कुमार द्वारा दिया गया। इस अवसर पर संस्थान के सभी संयुक्त निदेशकगण, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं छात्र उपस्थित रहे।          बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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