आईवीआरआई में सात दिवसीय “ऑर्थोपेडिक सर्जरी” प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 

बरेली , 17 नवम्बर। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में कल सात दिवसीय  ”ऑर्थोपेडिक सर्जरी“ प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के   पशुचिकित्साधिकारी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने संस्थान के गरिमामय इतिहास के बारे में बताते हुये कहा कि यह संस्थान 135 वर्ष पुराना संस्थान है तथा संस्थान ने पशुओं की महत्वपूर्ण बीमारियों के उन्मूलन में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है। इसके अतिरिक्त संस्थान ने 50 से अधिक विभिन्न पशु रोगों के टीके एवं नैदानिक तैयार किये हैं .
शल्य चिकित्सा विभाग के बारे में बताते हुए डा. दत्त ने कहा कि विभाग द्वारा फ्रैक्चर मैनेजमेंट की कई तकनीकों तथा डिजाइन को विकसित किया है।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक, कैडराड ने बताया ऑर्थोपेडिक सर्जरी बहुत महत्वपूर्ण है। खासकर जब पशु चिकित्सा की बात आती है तो यह और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारे शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा कई पशुओं के रोड पर दुर्घटनाग्रस्त तथा उनके फ्रैक्चर की सर्जरी की है। हमारी फैकल्टी निपुण है। आशा करता हूँ कि इन सात दिनों में आप फ्रेक्चर से सम्बन्धित विभिन्न नवीन तकनीकें को सीखेंगे तथा अपने-अपने क्षेत्रों में प्रयोग करेंगे।
संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डा. एस. के. मेंदीरत्ता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का पशुपालन विभाग अपने पशुचिकित्साधिकारियों को समय-समय पर नवीन तकनीकियों तथा जानकारियों के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। उन्होंने शल्य चिकित्सा विभाग के बारे में बताते हुए कहा कि यहां देश के दूर-दूर क्षेत्रों से पशुपालक यहाँ अपने पशुओं का इलाज कराने आते हैं तथा यह विभाग अपनी कुशल सेवायें लगातार देता आया है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से ज्ञान के आपसी सवांद को आवश्यक बताया।
पाठ्यक्रम निदेशक तथा शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. किरनजीत ने बताया कि शल्य चिकित्सा विभाग द्वारा लगातार पशुचिकित्साधिकारियों के लिए समय-समय पर  प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पशुचिकित्साधिकारियों को ऐसी तकनीक के बारे में ज्ञान देना है जिसको कम से कम सुविधाओं के साथ अपने प्रक्षेत्र में प्रयोग कर सके। उन्होंने कहा कि आज फैक्चर काफी काॅमन होता जा रहा है जिसकी मुख्य वजह एक्ससाइज न हो पाना है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को आईवीआरआई द्वारा विकसित नवीन सर्जरी, बडे तथा छोटे़ पशुओं के फ्रेक्चर सम्बन्धी समाधान, फिक्सटेटर प्लेट का प्रयोग, के बारे में हैण्डस आन ट्रेनिंग प्रशिक्षण दिया जायेगा अर्थात पशुचिकित्साधिकारी स्वंय फैक्चर तथा इससे सम्बन्धित तकनीक को स्वंय प्रयोग मे लायेंगे।
कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम समन्वयक डा. रोहित कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन पाठ्यक्रम सह समन्वयक डा. ए.सी सक्सेना द्वारा दिया गया। इस अवसर पर डा. अमरपाल, डा.डी.बी. मण्डल, डा.एम.एच खान, डा. अभीजीत पावड़ेए डा. रेखा पाठक, डा. ए. गोपीनाथन आदि मौजूद रहे।                 बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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