इन कारणों से विद्यार्थियों के लिए बेहद खास है बसंत पंचमी का पर्व ? जानिए इसका इतिहास

 


नई दिल्ली: बसंत पंचमी का पर्व बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। मुख्य रूप से यह भारत के पूर्वी हिस्सों में, विशेषकर पश्चिम बंगाल और बिहार में, सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारत में यह पतंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह माघ मास के पांचवें दिन पड़ता है। इस दिन को लेकर कई सारी मान्यता है। तो आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं –

बसंत पंचमी पर्व का इतिहास
बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे का एक दिलचस्प इतिहास है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है उनका अवतरण इसी दिन हुआ था और यही कारण है कि भक्त इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। साथ ही इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

विद्यार्थियों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है बसंत पंचमी का पर्व ?

बसंत पंचमी का पर्व स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थानों में भी मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक इस अवसर पर माता सरस्वती की पूजा सच्ची भक्ति के साथ करते हैं उन्हें मां बुद्धि, विद्या और ज्ञान प्रदान करती हैं, क्योंकि वे ज्ञान की स्वामिनी हैं।

इस पर्व पर छात्र और शिक्षक नए कपड़े पहनते हैं और ज्ञान की देवी की विशेष पूजा करते हैं। साथ ही देवी को प्रसन्न करने के लिए गीत और नृत्य आदि का आयोजन करते हैं।

मां सरस्वती स्तुति
सरस्वतीं शारदां च कौमारी ब्रह्मचारिणीम्। वागीश्वरीं बुद्धिदात्री भारतीं भुवनेश्वरीम्।।

चंद्रघंटां मरालस्थां जगन्मातरमुत्तमाम्। वरदायिनी सदा वन्दे चतुर्वर्गफलप्रदमाम्।।

द्वादशैतानि नामानि सततं ध्यानसंयुतः।

यः पठेत् तस्य जिह्वाग्रे नूनं वसति शारदा।।

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