एसआरएमएस रिद्धिमा में ‘अगस्त के अवशेष ‘ नाटक का सफल मंचन


-बरेली , 14 अगस्त। एसआरएमएस रिद्धिमा के सभागार मे कल कथाकार मंडली, नई दिल्ली की ओर से ‘अगस्त के अवशेष’ नाटक का मंचन हुआ। सआदत हसन मंटो के अफसानों के किरदारों से प्रेरित “अगस्त के अवशेष” नाटक को राहुल शर्मा” ने लिखा और निर्देशित किया। 1940 के दशक में हिंदुस्तान की जर्जर स्थिति पर आधारित इस नाटक में हर आदमी, इंसानियत की दहलीज पर खड़ा है, जिसे कई लोग पार करने में असफल रहे। इसमें कॉलेज के दो छात्र सुगरा (रानी सोनकर) और धरम (शशांक त्रिपाठी) की एक सुखद यात्रा का दुखद अंत है। जो विभाजन और बाकी सभी बाधाओं के बावजूद एक-दूसरे के प्यार में पागल हैं। साथ ही हम एक ऐसे आम आदमी बिशन सिंह (राहुल कुमार) की भी कहानी हैं, जिसकी सत्ता और राजनीति में कोई भूमिका नहीं थी। जो भारत- पाकिस्तान विभाजन की सभी तकलीफों और अराजकता के बीच बस अपने परिवार और अपनी जड़ों की ओर लौटने की तलाश में रह जाता है। मंटो की कहानियां के किरदार आम लोगों की जिंदगी के साथ ही पागलों के भी व्यथा को चरितार्थ करता है। पागलों के किरदार में भी शशांक चौरसिया, नीरज पॉल, योगेश कुमार, दीपक सोनकर, साहिल शर्मा, गौरव गुप्ता भटकी हुई मानवता की तलाश में अपने देश को ढूंढते नजर आए। नाटक रुद्र प्रताप सिंह (जज), राजीव मैनी (महेंद्र), राहुल कुमार (बिशन), गौरव शर्मा (गार्ड) ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राहुल शर्मा ने संगीत संचालन, ध्रुव चौधरी ने प्रकाश संचालन की जिम्मेदारी निभाई। नाटक के सह निर्देशक रूद्र प्रताप सिंह थे, जबकि प्रोडक्शन कॉर्डिनेटर मधु शर्मा।
इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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