खेती की जमीन पर बना लिया घर, तो तोड़ने की आ सकती है नौबत, निर्माण शुरू करने से पहले लें यह जरूरी परमिशन

नई दिल्ली. दिनोंदिन बढ़ती आबादी ने कई तरह की चुनौतियां पैदा कर दी हैं. इससे बस्तियों का आकार बढ़ रहा है और खेती योग्य जमीन पर लोगों के बस जाने से खेती का आकार छोटा होता जा रहा है. ऐसे में उन जमीनों पर प्लॉट काटकर बेचे जा रहे हैं जहां अब तक खेती होते आई है. अगर आप भी अपना घर बनवाने के लिए कोई प्लॉट खरीदने जा रहे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है.

दरअसल खेती की जमीन पर उसका मालिक भी बिना परमिशन के घर नहीं बना सकता है. ऐसे में कहीं घर बनवाने के बाद आपको उसे गिराना नहीं पड़े, इसलिए आपको इससे जुड़े नियमों को जानना लेना चाहिए.

ऐसी भूमि जिस पर किसी भी तरह की फसलों का उत्पादन किया जाता है, वह खेती योग्य भूमि में आती है. आम तौर पर कृषि भूमि क्षेत्र के हिस्से के रूप में परिभाषित की गई जमीन स्थायी चारागाहों, फसलों और कृषि कार्यों आदि के इस्तेमाल के लिए उपयोग में ली जाती है. इनमें किसानों द्वारा हर साल फसलों का उत्पादन किया जाता है. इस जमीन पर आपका मालिकाना हक होने के बावजूद आप इसमें घर नहीं बना सकते हैं. इसके लिए आपको सरकार की ओर से परमिशन लेने की जरूरत होती है.

अगर आप खेती की जमीन पर घर बनाना चाहते हैं तो पहले आपको उसका कन्वर्जन कराना होता है. उसके बाद ही आप खेती की भूमि पर घर बनवा सकते हैं. हालांकि, कनवर्जन का नियम देश के कुछ ही राज्यों में हैं. बता दें कि जब खेती की जमीन को आवास भूमि में बदला जाता है तो आपको कुछ शुल्क का भुगतान भी करना होता है. इसके अलावा आपको म्यूनिसिपल काउंसिल या ग्राम पंचायत से एनओसी लेने की भी जरूरत होती है.

खेती योग्य भूमि को आवास योग्य भूमि में बदलने के लिए आपको कनवर्जन कराना होता है, जिसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की जरूरत होती है. इसमें जमीन के मालिक का पहचान पत्र होना आवश्यक है. इसके साथ ही फसलों का रिकार्ड, किरायदारी, मालिकाना हक भी जरूरी है. वहीं आपसे लैंड यूटिलाइजेशन प्लान, सर्वे मैप, लैंड रेवेन्यू की रसीद भी मांगी जाती है. इसके अलावा उस जमीन पर कोई बकाया राशि या फिर कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए.

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