गरीबी के समय में मां के साथ सड़कों पर बेची चूड़ियां, कई बार भूखे पेट सोता था परिवार,कड़ी संघर्ष करते हुए रमेश बने IAS

कहते हैं अगर कोई इंसान मजबूत इरादे से कुछ करना चाहे तो पूरी कायनात उसकी मदद करने में लग जाती है. कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो लाख मुसीबतों के बाद भी अपने सपने को नहीं छोड़ते हैं और लगातार कोशिश करते रहते हैं. लगातार कोशिश करने से एक दिन वह अपने सपने को साकार कर दिखाते हैं. आज हम आपको बताने वाले हैं एक ऐसे ही शख्स की कहानी….

आज हम आपको बताने वाले हैं आईएएस अफसर रमेश घोपल की कहानी. रमेश को बचपन में है पैर में पोलियो मार गया था और उनकी आर्थिक स्थिति इतना खराब था कि उन्हें अपनी मां के साथ सड़कों पर चूड़ियां बेचना पड़ता था. लेकिन रमेश ने हर मुश्किलों को मार दिया और आईएएस अफसर बन दिखाएं.

रमेश के पिता के छोटी सी साइकिल की दुकान थी. रमेश के पिता बहुत ज्यादा शराब पीते थे जिसके कारण उनके परिवार की स्थिति दिन पर दिन खराब होती गई. अधिक शराब पीने के कारण उनके परिवार की स्थिति खराब हो गई और परिवार की स्थिति ज्यादा खराब होने के कारण उनकी मां को सड़क पर चूड़ियां बेचना पड़ा. अपनी मां के साथ रमेश भी सड़कों पर चूड़ियां बेचने जाते थे.

12वीं करने के बाद वह अपने चाचा के घर आ गए और वहीं आकर पढ़ने लगे. रमेश को अपने गांव से अपने चाचा के गांव जाने में ₹7 लगते थे लेकिन वह विकलांग थे इसलिए उनका ₹2 ही लगता था. रमेश की किस्मत इतनी खराब है कि उस समय उनके पास ₹2 भी नहीं थे. 12वीं के बाद वो डिप्लोमा कर लिए और गांव के स्कूल में शिक्षक बन गए. शिक्षक बनने के बाद वह अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने लगे लेकिन उनका लक्ष्य कुछ और था.

रमेश ने 6 महीने के लिए नौकरी छोड़ दी और पूरे मन से यूपीएससी की तैयारी करने लगे. लेकिन पहली बार उन्हें असफलता हाथ लगी. रमेश की मां ने किसी भी तरह पैसे जोड़कर उन्हें पुणे पढ़ने के लिए भेज दिया और पुणे जाते वक्त उन्होंने गांव के लोगों के सामने कसम खाई कि जब तक वह सब से नहीं बनेंगे गांव वालों को अपना शक्ल नहीं दिखाएंगे.

रमेश की मेहनत रंग लाई और 2012 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को पास कर दिखाया. रमेश ने बिना किसी कोचिंग गए यूपीएससी जैसे बड़े परीक्षा को पास कर दिखाया. एक निरक्षर मां बाप का बेटा कड़े संघर्ष और कठिनाइयों का सामना करते हुए आईएएस अफसर बनने के सपने को सच कर दिखाया.

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