चुनावों में मुफ्त रेवड़ी कल्चर पर लगेगी रोक?, कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका

नई दिल्ली: चार भूतपूर्व सैन्यकर्मियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके चुनावों से पहले राजनीतिक दलों की ओर से ‘‘मुफ्त सुविधाओं” की घोषणा को ‘‘वोट के बदले नकदी” कहकर चुनौती दी गई है। चार सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों ब्रिगेडियर रवि मुनीस्वामी, नायब सूबेदार रमेश जगताप, नायक मणिकांत ए और हवलदार बसप्पा पट्टानशेट्टी ने जनहित याचिका दायर की। इसे अभी सूचीबद्ध किया जाना है।

याचिका में कहा गया, ‘‘चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद मुफ्त सुविधाएं देकर, राजनीतिक दल सत्ता पाने के लिए रुझान पैदा कर रहे हैं और यहां तक कि चुनाव से पहले मुफ्त चीजों की घोषणा करते हुए चुनाव के बाद सरकार के सत्ता में आने पर मुफ्त सुविधाएं देने का वादा करते हैं।”

याचिका में कहा गया, ‘‘यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत वोट के लिए नकदी के अलावा और कुछ नहीं है। इस तरह राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने की घोषणा कानून के प्रावधानों के साथ-साथ भारत के संविधान के भी खिलाफ है।” याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने गृह लक्ष्मी, गृह ज्योति और शक्ति योजना जैसी मुफ्त सुविधाओं का वादा करके राज्य में सत्ता हासिल की।

याचिकाकर्ता ने कहा है, ‘‘उक्त मुफ्त सुविधाओं के कारण, उम्मीदवारों के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद करना संभव नहीं है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है तथा सभी को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।” याचिका में चुनाव आयोग के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) को प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है।

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