टैलेंट हंट से फिल्‍मों में आई थीं फरीदा जलाला , दिलीप कुमार की बहन बन मिली पॉपुलैरिटी, जानिए अब कहा हैं

जैसे लाइफ में मां की अहमियत होती है। वैसे ही एक फिल्म में भी ‘मां’ का किरदार बेहद जरूरी होता है। रोती-बिलखती मां की पीड़ा दिखी और पिक्चर निकल पड़ी। मगर ऐसे ही नहीं। उसे भरपूर स्क्रीन स्पेस मिलना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे निरूपा रॉय को मिला और फिर ये लाइमलाइटी फरीदा जलाल ने। 73 साल में इस एक्ट्रेस ने 50 साल काम किया और 30 बार मां का रोल अदा किया। उन्होंने रोमांस से लेकर फैमिली ड्रामा तक की फिल्में की। दर्शकों को हंसाती और रुलाती रहीं। मगर इनका करियर इस मुकाम तक पहुंचा कैसे। आइए आज सैटर्डे सुपरस्टार में बताते हैं।

साल 1956 में एक टैलेंट हंट हुआ था। इसे यूनाइटेड फिल्म प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने करवाया था। देशभर के हजारों लोग शामिल हुए थे जिसे जज कर रहे थे- बिमल रॉय, बी.आर. चोपड़ा, नासिर हुसैन, जी.पी. सिप्पी, ओम प्रकाश मेहरा और शक्ति सामंत। जो कि अपने समय के बेहतरीन फिल्ममेकर्स थे। बताया जाता है कि 10 हजार में से सिर्फ 8 लोग सेलेक्ट हुए थे और इसमें से एक फरीदा जलाल भी थीं और वो फाइनलिस्ट भी बनी थीं। साथ दिया था राजेश खन्ना ने। फरीदा जलाल ने इस टैलेंट हंट में हिस्सा सिर्फ इसीलिए लिया था क्योंकि वो फिल्मों में काम करना चाहती थीं। उनका सपना पूरा भी हुआ। राजश्री प्रोडक्शंस के ताराचंद बड़जात्या ने इन्हें फिल्म ‘तक़दीर’ ऑफर की। इस वक्त इनकी उम्र 16 साल थी।

फरीदा जलाल अपनी पहली फिल्म की शूटिंग के दौरान सेंट जॉसफ कॉन्वेंट स्कूल जो कि पंचगनी में है, उसमें पढ़ रही थीं। मगर इसमें करियर बनाने की वजह से उनकी पढ़ाई-लिखाई छूट गई। फरीदा जलाल ने ‘बहारों की मंज़िल’ और ‘महल’ करने के बाद राजेश खन्ना के साथ ‘अराधना’ में काम किया। इसमें भी एक ट्विस्ट था। शर्मीला टैगोर लीड रोल कर रही थीं लेकिन एक्टर के अपोजिट फरीदा को ही कास्ट किया गया था।

साल 1969 में रिलीज हुई राजेश खन्ना, शर्मील टैगौर स्टारर ‘अराधना’ के बाद फरीदा जलाल का फिल्मी सफर तेजी से आगे बढ़ने लगा। एक्ट्रेस को जॉय मुखर्जी के साथ फिल्म मिली। इसमें इन्होंने लीड रोल प्ले किया था। वो बात अलग है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असलफल रही। इसके बाद एक्ट्रेस को दिलीप कुमार के साथ भी काम करने का सौभाग्य मिला। उस दौर में दिलीप कुमार बहुत कम फिल्में करते थे। मगर ‘गोपी’ की और इसमें फरीदा को उनकी बहन बना दिया गया। एक्ट्रेस ने खुशी-खुशी कर लिया। उन्हें नहीं पता था कि इसका अंजाम कितना बुरा होगा। बस सामने आई थाली को उन्होंने माथे पर सजा लिया।

जिसका डर था वही हुआ। ‘गोपी’ के बाद हर कोई फरीदा जलाल को बहन के ही रोल ऑफर करने लगा। 1971 में आई फिल्म ‘पारस’ में वो संजीव कुमार की बहन बनीं। इसके लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘मजबूर’ में अमिताभ बच्चन की बहन का रोल किया। इसके लिए भी उन्होंने बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड जीत लिया। इसके बाद एक समय आया जब वो गायब होने लगीं। रोल्स मिलते तो छोटे-मोटे।

फरीदा जलाल ने ‘जीवन रेखा’ एक्टर तबरेज़ बर्मावर से शादी कर ली। नवंबर 1978 में इन्होंने प्यार के बाद ब्याह रचाया था। फिर क्या था। जैसे हर एक्ट्रेस को शादी के बाद काम मिलना बंद हो जाता है। वैसे ही इनके साथ भी हुआ। फिर ये पति के साथ बेंगलुरु चली गईं। वहां तबरेज़ की साबुन की फैक्ट्री थी। वहीं पर इन्हें बेटा हुआ। और फिर फिल्मों से कन्नी कट गई।

फरीदा जलाल ने सात-आठ साल फिल्मों से दूरी बनाई रखी और जब उन्होंने कमबैक किया तो छोटे पर्दे से। ‘घर जमाई’ टीवी शो से वो वापस आईं। इसके बाद उन्होंने ‘शरारत’, ‘बालिका वधू’ और ‘जीनी और जूजू’ जैसे कई सीरियल्स किए। ‘सतरंगी ससुराल’ इनका आखिरी टीवी शो था जो कि 2014-16 तक टेलीकास्ट हुआ था। 2018 में ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ और 2020 में ‘जवानी जानेमन’ दिखने के बाद ये एकदम मिस्टर इंडिया हो गईं।

फरीदा जलाल ने पहली बार मां का किरदार 1992 में आई फिल्म ‘गर्दिश’ में निभाया था। इसमें वह जैकी श्रॉफ की मां बनीं थीं। मूवी बॉक्स ऑफिस हिट रही थी। इसके बाद ऐक्ट्रेस ने 1994 में आई फिल्म ‘दुलारा’ में गोविंदा की मां का किरदार निभाया। और यह फिल्म भी हिट हुई थी। फिर ये सिलसिला बंद नहीं हुआ और वो 32 फिल्मों में मां बनती चली गईं। आखिरी बार वो सैफ अली खान की मां के रूप में फिल्म ‘जवानी जानेमन’ में देखी गई थीं।

फरीदा जलाल ने ओटीटी डेब्यू भी कर चुकी हैं। उन्होंने Zee5 पर आए दो शोज ‘मेहरम’ और ‘परछाईं’ में देखा गया गया है। फिलहाल वह अपने बेटे के यासीन जलाल के साथ रहती हैं। मुंबई के साथ-साथ बेंगलुरु आती जाती रहती हैं।

 

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