दिल्ली के बाबुओं पर किसका अधिकार, महाराष्ट्र में कौन करेगा राज? सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज यानी गुरुवार को दो महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसले सुना सकता है। देश की सर्वोच्च अदालत महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के विभाजन के साथ शुरू हुए राजनीतिक संकट और केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण को लेकर जारी विवाद पर अपना फैसला सुना सकती है। इन मामलों की सुनवाई पांच जजों वाली संविधान पीठ ने की है, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह, कृष्णा मुराई, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल थे।

शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में 16 मार्च को संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में कुल नौ दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था। पीठ ने उद्धव ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट और राज्यपाल की दलीलें सुनी थीं। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, एम.आर. शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी।

शिवसेना बनाम शिवसेना केस की मुख्य बातें
– क्या स्पीकर को हटाने का नोटिस उन्हें नबाम रेबिया केस में संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्यता की कार्यवाही जारी रखने से रोकता है।
– क्या अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत कोई याचिका हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अयोग्यता की कार्यवाही पर निर्णय के लिए लाई जा सकती है।
– क्या यह माना जा सकता है कि किसी सदस्य को उसके कार्यों के आधार पर स्पीकर के निर्णय की अनुपस्थिति में अयोग्य माना जाए।
– सदस्यों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान सदन में कार्यवाही की क्या स्थिति है।
– यदि स्पीकर का यह निर्णय कि किसी सदस्य को 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, शिकायत की तारीख से संबंधित है, तो अयोग्यता याचिका के लंबित होने के दौरान हुई कार्यवाही की स्थिति क्या होगी।
– दसवीं अनुसूची के पैरा तीन को हटाने का क्या असर पड़ा है।
– विधायी दल के व्हिप और सदन के नेता को निर्धारित करने के लिए स्पीकर की शक्ति क्या है।
– क्या पार्टी के भीतर के सवाल न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं, इसका दायरा क्या है।
– किसी व्यक्ति को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की राज्यपाल की शक्ति क्या है और क्या यह न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
– किसी पार्टी के अंदर एकपक्षीय विभाजन को रोकने के संबंध में चुनाव आयोग की शक्तियां क्या हैं।

दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण किसका, फैसला आज
दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले और तैनाती केंद्र सरकार के हाथ में रहेंगे या दिल्ली सरकार के, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी। पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, एम.आर. शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। अदालत ने 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गौरतलब है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में होंगी, इस पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने 14 फरवरी 2019 को एक फैसला दिया था लेकिन, उसमें दोनों जजों का मत अलग था। लिहाजा फैसले के लिए तीन जजों की बेंच गठित करने के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया गया था। इसी बीच केंद्र ने दलील दी थी कि मामले को और बड़ी बेंच को भेजा जाए। अंत में इस मामले पर 5 जजों की पीठ ने सुनवाई की जिसका फैसला अब गुरुवार को आना है।

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