प्रवेश द्वार पर क्यों लगाती है नई दुल्हन हाथों के पंजों से हल्दी की छाप

अपने देखा होगा शादी के बाद दुल्हन ससुराल में प्रवेश करने के पहले मुख्य द्वार पर अपने हाथों से हल्दी का (haldi chap) छाप छोड़ती है. ऐसा नई दुल्हन (bride traditions) के साथ गृह प्रवेश (greh pravesh) करने के पहले क्यों कराया जाता है इसके पीछे की कहानी क्या है, इसके बारे में आपने कभी सोचा है. आज हम इस लेख (vivah rasmein) में आपको बताएंगे आखिर इसके पीछे की मान्यता क्या है, तो चलिए जानते हैं.

हल्दी की छाप के पीछे मान्यता

ऐसा नई दुल्हन से इसलिए करवाया जाता है क्योंकि हल्दी बृहस्पति ग्रह का कारक होता है. यह ग्रह वैवाहिक जीवन में खुशियां लाने का काम करते हैं. इसलिए लोग शादी के बाद ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को पाने के लिए ऐसा करते हैं. बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि लाने का काम करता है.

यही कारण है कि नई दुल्हन को घर में प्रवेश करने के साथ हल्दी की छाप मुख्य द्वार पर लगवाते हैं. यह भी मान्यता है कि हल्दी भगवान विष्णु (lord Vishnu) की प्रिय सामग्री है, ऐसे में माता लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की भी कृपा दृष्टि मिलती है.

हल्दी को शुभता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए नई दुल्हन से ऐसा करवाया जाता है. ऐसा करने से सारे कष्ट भी दूर होते हैं. इससे बृहस्पति भगवान का आशीष प्राप्त होता है. हल्दी की छाप वैवाहिक जीवन के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. तो इसलिए यह रस्म कराई जाती है. हल्दी की छाप के पीछे मान्यता

ऐसा नई दुल्हन से इसलिए करवाया जाता है क्योंकि हल्दी बृहस्पति ग्रह का कारक होता है. यह ग्रह वैवाहिक जीवन में खुशियां लाने का काम करते हैं. इसलिए लोग शादी के बाद ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को पाने के लिए ऐसा करते हैं. बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि लाने का काम करता है.

यही कारण है कि नई दुल्हन को घर में प्रवेश करने के साथ हल्दी की छाप मुख्य द्वार पर लगवाते हैं. यह भी मान्यता है कि हल्दी भगवान विष्णु (lord Vishnu) की प्रिय सामग्री है, ऐसे में माता लक्ष्मी के साथ विष्णु जी की भी कृपा दृष्टि मिलती है.

हल्दी को शुभता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए नई दुल्हन से ऐसा करवाया जाता है. ऐसा करने से सारे कष्ट भी दूर होते हैं. इससे बृहस्पति भगवान का आशीष प्राप्त होता है. हल्दी की छाप वैवाहिक जीवन के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. तो इसलिए यह रस्म कराई जाती है.

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