भूलकर भी इस समय नहीं करनी चाहिए देवी देवताओं की पूजा!, वरना हो जाते हैं नाराज

पूजा देवी देवताओं से जुड़ने का माध्यम है और यह भगवान के प्रति विश्वास, श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है। पूजा के समय ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं और मन में सकारात्मक ऊर्जा का आभास करते हैं। इससे मन में शांति और सद्भावना का अहसास होता है। लेकिन शास्त्रों में देवी देवताओं की पूजा करते समय कुछ सावधानी बरतने को भी कहा है। पूजा के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, इन्हीं नियमों को ध्यान में रखकर ही देवी देवताओं की पूजा करना चाहिए अन्यथा देवी देवता नाराज हो जाते हैं और पूजा का भी शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। आइए जानते हैं पूजा करते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए।

बिना शौच और स्नान किए पूजा नहीं करनी चाहिए। हमेशा इन चीजों से निवृत होकर ही पूजा पाठ करना चाहिए। साफ और स्वच्छ तरीके से की गई पूजा का फल भी शुभ मिलता है। पूजा में अगर स्वच्छता का ध्यान नहीं रखेंगे तो देवी देवता नाराज हो जाते हैं और जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जब आरती चल रही हो उस समय पूजा नहीं करना चाहिए। पूजा के समय पूजा और आरती के समय आरती करनी चाहिए। ऐसा नहीं करना चाहिए, जब आप आरती कर रहे हों, उसी समय पूजा की सामग्री भगवान को अर्पित करें, ऐसा करना गलत है। आरती पूजा में शामिल नहीं है क्योंकि आरती ईश्वर की वंदना और भजन में शामिल है।

पूजा के नियमों में से एक यह भी है कि दोपहर के समय देवी देवताओं की पूजा नहीं करना चाहिए। इस समय की गई पूजा स्वीकार्य नहीं होती है। ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 बजे से लेकर चार बजे तक देवी देवताओं के आराम का समय माना जाता है इसलिए इस समय की गई पूजा का पूर्ण फल मिलता है और उनके आराम में भी विध्न पड़ता है, जिससे वे नाराज भी हो सकते हैं।

सायंकाल की आरती के बाद पूजा करना वर्जित बताया गया है। रात्रि के समय सभी तरह के धार्मिक कर्म वेदों द्वारा निषेध माने गए हैं। हालांकि कुछ विशेष दिन जैसे दिवाली, होली, करवा चौथ आदि त्योहार पर पूजा कर सकते हैं लेकिन बाकी दिन सायंकाल की आरती के बाद पूजा नहीं करना चाहिए। आरती के बाद देवी देवता विश्राम करने चले जाते हैं और उस समय पूजा करने से उनके विश्राम में विघ्न पड़ता है इसलिए इस समय पूजा नहीं करना चाहिए।

महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पूजा नहीं करनी चाहिए। इस समय उपवास रख सकते हैं लेकिन मूर्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए, ऐसी धार्मिक मान्यता है। इस समय किसी को दान दक्षिणा भी नहीं देनी चाहिए। पुराणों में बताया गया है कि इस समय शरीर की शुद्धि की प्रक्रिया चल रही होती है इसलिए महिलाओं को इस समय सांसारिक कार्यों और देवी देवताओं के कार्यों से मुक्त किया गया है। इस समय महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और आराम करना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान मानसिक जप करना शरीर और मन दोनों के लिए फायदेमंद बताया गया है।

जब घर में किसी का जन्म या मृत्यु होती है तब सूतक लग जाता है, ऐसे समय देवी देवताओं की पूजा करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है। सूतक के समाप्त होने के बाद ही पूजा पाठ और भगवान का पूजन स्पर्श करना चाहिए, ऐसी धार्मिक मान्यता है। सूतक के समय जितने भी खून के रिश्ते के बंधु बांधव होते हैं, उन सभी घरों में सूतक लग जाता है इसलिए इस समय पूजा अर्चना सही नहीं माना जाता।

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